Advertisement

जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार पर सवाल उठाने वाले आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजीव भट्ट ने कहा कि वह 24 साल की उम्र में एक जुनून के साथ आईपीएस में आए थे और यह आग आज भी उनके अंदर जल रही है। उनका कहना है कि सरकार ने ड्यूटी से गैर-हाजिर रहने के मनगढ़ंत आरोपों पर एकतरफा जांच कर उन्‍हें सेवा से हटाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ संजीव भट्ट ने एक कविता के जरिये अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। इस अंग्रेजी कविता का अनुवाद इस प्रकार है:
जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

 

मेरे पास सिद्धांत हैं और कोई सत्‍ता नहीं 

तुम्‍हारे पास सत्‍ता है और कोई सिद्धांत नहीं 

तुम्‍हारे तुम होने 

और मेरे मैं होने के कारण 

समझौते का सवाल ही नहीं उठता

इसलिए लड़ाई शुरू होने दो ...

 

मेरे पास सत्‍य है और ताकत नहीं 

तुम्‍हारे पास ताकत है और कोई सत्‍य नहीं 

तुम्‍हारे तुम होने 

और मेरे मैं होने के कारण 

समझौते का सवाल ही नहीं उठता

इसलिए शुरू होने दो लड़ाई ...

 

तुम मेरी खोपड़ी पर भले ही बजा दो डंडा 

मैं लड़ूंगा 

तुम मेरी हड्डि‍यां चूर-चूर कर डालो 

फिर भी मैं लड़ूंगा 

तुम मुझे भले ही जिंदा दफन कर डालो 

मैं लड़ूंगा 

सच्‍चाई मेरे अंदर दौड़ रही है इसलिए

मैं लड़ूंगा 

अपनी अंतिम दम तोड़ती सांस के साथ भी 

मैं लड़ूंगा ...

 

मैं तब तक लड़ूंगा, जब तक 

झूठ से बनाया तुम्‍हारा किला

ढह कर गिर नहीं जाता 

जब तक जो शैतान तुमने अपने झूठों से पूजा है

वह सच के मेरे फरिश्‍ते के सामने घुटने नहीं टेक देता

 

 

 

(मूल कविता संजीव भट्ट के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/sanjivbhattips पर अंग्रेजी में है। )

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad