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04 December 2022

हेट स्पीच को लेकर कोर्ट का बयान, प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के लिए पूर्व मंजूरी आवश्यक

ANI

नयी दिल्ली की एक अदालत ने बौद्ध समुदाय के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत के निर्देश के लिए सक्षम प्राधिकार से अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी जरूरी है।

अदालत वकील सत्य प्रकाश गौतम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। स्वामी राम भद्राचार्य के ऊपर आरोप है कि उन्होंने भगवान बुद्ध और बौद्ध समुदाय के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसने समाज में वैमनस्य का माहौल पैदा हुआ।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने कहा, "जाहिर है, इस मामले में शिकायतकर्ता द्वारा सक्षम प्राधिकारी से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई है, इसलिए कानून के निर्धारित प्रावधान के मद्देनजर... शिकायत... मंजूरी के अभाव में सुनवाई योग्य नहीं होने के कारण खारिज की जाती है।" 

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अदालत ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के एक हालिया फैसले के अनुसार, नफरत भरे भाषणों आदि के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान के तहत जांच और प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के लिए सरकार की उचित मंजूरी की आवश्यकता थी। 

अदालत ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता, प्रकृति में निर्देशिका होने के बजाय अनिवार्य आवश्यकता थी।  

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TAGS: Court, hate speech, Delhi court, Lord buddha, Hinduism
OUTLOOK 04 December, 2022
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