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20 November 2020

डॉ हर्षवर्धन इंटरव्यू: सभी को मिलेगी कोरोना वैक्सीन, इसके लिए प्लान तैयार

भारत में कोविड-19 वैक्सीन को लेकर क्या तैयारियां हैं, लोगों तक वैक्सीन कब पहुंचेगी, क्या सबको एक साथ वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी, या फिर चरणबद्ध तरीके से मिलेगी। और कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर सरकार की क्या तैयारियां हैं, इन सब सवालों पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आउटलुक के सवालों के जवाब दिए। प्रमुख अंश:

 

कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर क्या तैयारी है? हमारे देश के लिए यह कितनी बड़ी चुनौती है?

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हम पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ी टीकाकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक चला रहे हैं। हर साल 2.60 करोड़ बच्चे इसमें जुड़ जाते हैं। हमारे पास वैक्सीन की आपूर्ति, भंडारण और वितरण की स्‍थापित प्रणाली है, जिसके जरिए हर साल 60 करोड़ डोज दिए जाते हैं। पोलियो टीकाकरण का कार्यक्रम दो दशक से चला रहे हैं। हाल में हम दुनिया का सबसे बड़ा मीजेल्स-रूबेला टीकाकरण कार्यक्रम चला रहे हैं, जिसमें 33 करोड़ बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। इन सफलताओं और अनुभवों से हमें पूरा भरोसा है कि कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण में भी सफल होंगे। इसके लिए हम राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम बना रहे हैं, जिसके तहत प्राथमिकता वाले समूहों की भी पहचान की जा रही है। कोविड-19 वैक्सीन के लिए गठित विशेषज्ञ समूह वैक्सीन चयन, खरीद, वित्तीय संसाधन, वितरण वगैरह की पूरी योजना तैयार कर रहा है। इसके अलावा हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क (ईवीआइएन) भी है, जिसमें वैक्सीन वितरण से संबंधित सभी जानकारी रियल टाइम में एकत्र कर सकते हैं। मैं यह भरोसा दिलाता हूं कि चरणबद्ध तरीके से सभी नागरिकों को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी।

कुछ वैक्सीन निर्माताओं का कहना है, अगले महीने के अंत तक वैक्सीन के प्रभावी होने के आंकड़े मिलने लगेंगे, ऐसे में सरकार को किन कंपनियों से उम्मीद है?

भारत में 30 समूह, संस्थान और उद्योग जगत के लोग वैक्सीन विकसित करने में लगे हुए हैं। इसमें 5 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रॉयल के चरण में हैं, जिसमें जाइडस कैडिला की जेडवाईकोवी-डी, भारत बॉयोटेक लिमिटेड की कोवैक्सीन, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय/आस्ट्राजेनिका की सीएचएडीओएक्स 1-एस, रूस की वैक्सीन स्पूतनिक-वी और अमेरिका की बॉयोलॉजिकल-ई अहम हैं। हम सभी पर नजर बनाए हुए हैं, जिन कंपनियों को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के जरिए लाइसेंस मिलेगा, उनसे हम संपर्क करेंगे।

वैक्सीन के टीकाकरण का काम कैसे होगा? मौजूदा क्षमता को देखते हुए क्या प्राथमिकताएं होंगी?

हमारा ईवीआईएन सिस्टम स्टॉक में मौजूद सभी वैक्सीन का रियल टाइम में निगरानी कर सकता है। इसका इस्तेमाल कोविड-19 के टीकाकरण में भी किया जाएगा, जो वैक्सीन की उपबल्धता और उसकी पहुंच पर रियल टाइम में नजर रखेगा।  जहां तक वैक्सीन के लिए जरूरी तापमान उपलब्ध कराने की बात है, तो हमारे पास कोल्ड चेन का मजबूत तंत्र है। इसके लिए हम आईस-लाइन रेफ्रीजरेटर्स, डीप फ्रीजर, वॉक-इन- कूलर और वॉक-इन-फ्रीजर का इस्तेमाल करेंगे। लोगों को प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ईसीएचओ और आईजीओटी का भी इस्तेमाल किया जाएगा। जहां तक प्राथमिकता की बात है तो हम काम के जोखिम और उम्र के आधार पर वैक्सीन के टीकाकरण पर जोर देंगे। हमारी पहली प्राथमिकता स्वास्थ्यकर्मी होंगे। उसके बाद दूसरे विभागों के फ्रंटलाइन कर्मचारी होंगे। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि देश में कोविड-19 से 80 फीसदी से ज्यादा मौतें 50 साल से ज्यादा के उम्र के लोगों की हुई है। ऐसे में उन्हें भी प्राथमिकता मिलेगी।

ऐसी आशंका है कि कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण के चलते, देश भर में चल रहे टीकाकरण अभियान का काम प्रभावित हो सकता है?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि शुरुआत में टीकाकरण अभियान का काम प्रभावित हुआ था। लेकिन हमने इसे सुधार लिया है। कोविड-19 वैक्सीन की संभावना को देखते हुए राज्यों से कहा गया है कि वह एक उच्चस्तरीय समन्वय समूह का गठन करें। जिसे राज्य और जिले स्तर पर बनाने की बात कही गई है। जिससे पहले से चल रहे टीकाकरण अभियान में कोई अड़चन नहीं आए। सभी राज्यों को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।

यूरोप में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है। त्योहारी मौसम, चुनाव और सर्दियों को देखते हुए भारत पर भी खतरा बढ़ गया है?

वायरस के व्यवहार को देखते हुए लगता है कि सर्दियों में वायरस का प्रकोप बढ़ेगा। इसीलिए हमने त्योहारों के देखते हुए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसी तरह चुनाव आयोग ने भी चुनावों के मद्देनजर दिशानिर्देश जारी किए। इसके अलावा हम सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ लगातार संपर्क में हैं। और उनसे कहा कि सुरक्षा के जरूरी इंतजाम किए जाए। हमनें राज्यों को यह भी सलाह दी है कि त्योहारों को दौरान नियमों को तोड़ने वालों पर खास सख्ती बरती जाय। जिससे कि संक्रमण को रोका जा सके।

कोविड-19 से निपटने की वजह से दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं पर क्या असर हुआ है?

दूसरे देशों की तरह भारत में भी कोविड-19 की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर हुआ है। उदाहरण के तौर पर शुरुआती महीनों में टीबी नोटिफिकेशन दर में करीब 45 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह की गिरावट डायबिटीज, इन्फ्लुएंजा, हाइपरटेंशन आदि बीमारियों में भी देखी गई है। सेवाओं को बेहतर करने के लिए राज्यों के साथ नियमित तौर पर समीक्षा की जा रही है। जिससे कि चीजें सामान्य स्तर पर आ जाएं। ऐसा करने के ल‌िए जरूरी पूंजी भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।

भारत कोविड-19 टेस्टिंग के लिए केवल एंटीजन किट का इस्तेमाल कर रहा है, या फिर हम पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी टेस्टिंग भी कर रहे हैं?

आरटी-पीसीआर और एंटीजन आधारित टेस्ट मुख्य रूप में लैबरेट्री में बीमारी की प्राथमिक स्तर पर पहचान, ईलाज आदि के लिए किए जाते हैं। इसी तरह मॉल्युकुलर क्लोज्ड सिस्टम प्लेटफॉर्म , जैसे ट्रूनैट और सीबीएनएएटी भी बीमारी का पता लगाने के ल‌िए इसी तरह इस्तेमाल क‌िए जाते हैं। एंटीबॉडी आधारित आईजी एलिसा/सीएलआईए टेस्ट का इस्तेमाल प्रमुख बार-बार होने वाले सीरो सर्वेक्षण के लिए किया जाता है। जो कि आईसीएमआर द्वारा विभिन्न राज्यों में किया जाता है। अभी तक आईसीएमआर देश के 70 जिलों में दो  बार 24 हजार और 28 हजार लोगों पर सीरो सर्वेक्षण किया है।

एक सवाल उठ रहा है कि भारत बॉयोटेक की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रॉयल को मंजूरी कैसे मिल गई, जबकि पहले और दूसरे चरण के ट्रॉयल की क्षेत्र के विशेषज्ञों से समीक्षा नहीं हुई है?

इस तरह की समीक्षा, एनडीसीटी नियमों के तहत अनिवार्य नहीं है। ऐसे में कोई भी दवा या वैक्सीन का बिना क्षेत्र के विशेषक्षों की समीक्षा के क्लीनिकल ट्रॉयल किया जा सकता है। पहले और दूसरे चरण में भारत बॉयोटेक ने सुरक्षा और प्रभावशीलता के परिणाम जो दिए थे, उसकी समीक्षा के बाद ही तीसरे चरण की मंजूरी दी गई। विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के आधार पर ही सीडीएससीओ ने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रॉयल की मंजूरी दी है।

हर नागरिक तक वैक्सीन पहुंचाने को लेकर किन अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है?

सबसे बड़ा डर यह है कि वैक्सीन प्रभावी रूप से काम करेगी या नहीं। दूसरी चुनौती यह है कि हमने जो आकलन किया है, अगर उस रफ्तार से वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई। तो क्या होगा, ऐसी स्थिति में वैक्सीन को आयात किया जा सकता है। जिसे हमें प्राथमिकता के आधार पर लोगों तक पहुंचाना होगा। ऐसे में इस बात की आशंका है कि देरी होने से वैक्सीन की प्रभावशीलता 6-12 महीने बाद कम हो सकती है। हालांकि मैं आशावादी हूं। जिस तरह वैक्सीन के लिए दुनिया ने हाथ मिलाया है, ऐसे हम लड़ाई जरूर जीतेंगे। जब लोगों को टीके लगने शुरू हो जाएंगे, तो संक्रमण के मामलों में भी कमी हो जाएगी। ऐसी संभावना है कि हमें पूरी आबादी के लिए वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

महामारी से आपने क्या सीखा?

महामारी ने हमें सिखाया कि उपचार, जांच और वैक्सीन ही इस तरह के संकट से हमें दूर कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी बेहद मजबूत हुआ है। हमें महामारी से निपटने के लिए एक प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली बनाने पर जोर देना चाहिए। इसके लिए दुनिया को विज्ञान और तकनीकी में ज्यादा आपसी सहयोग की जरूरत है। अब हम वैक्सीन विकसित करने के करीब पहुंच गए हैं, ऐसे में उसकी आसानी से सब तक पहुंचने की व्यवस्था पर जोर देना होगा। इसमें यह भी ध्यान रखना होगी वैक्सीन गरीब से गरीब आदमी तक पहुंच जाय। पैसे रास्ते में रोड़ा नहीं बन पाय। इस महामारी के बीच एक आध्यात्मिक सीख भी है। भारत ने एक बार फिर लोगों को रास्ता दिखाया है कि जब किसी बड़े लक्ष्य के लिए दुनिया के अरबों लोग एक साथ आ जाते हैं, और वह उसे पाने के ल‌िए प्रयास करते हैं तो नई किरण निकलती है। एक बात और मैं कहना चाहता हूं क‌ि भारत अपने सामाजिक दायित्व को हमेशा निभाता रहेगा।

 

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TAGS: डॉ हर्षवर्धन, इंटरव्यू, कोरोना वैक्सीन, interview, dr harsh vardhan, Corona vaccine
OUTLOOK 20 November, 2020
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