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23 September 2020

कृषि विधेयक और उस पर राजनीति

पीटीआइ

इन विधेयकों को किसान-विरोधी बताने वाले लोग सबसे बड़े किसान विरोधी और बिचौलियों के हमदर्द हैं।  वे किसानों के जीवन में खुशहाली और सम्पदा लाने वाले इन विधेयकों को किसानों के लिए ‘आपदा’ बता रहे हैं।  उनका दावा है कि इससे पूरा कृषि उद्योग निजीकरण का शिकार हो जायेगा।  विपक्ष के ये दावे भावनात्मक और भ्रमात्मक हैं, और सत्य से कोसों दूर हैं।  उल्लेखनीय है कि किसानों और कृषि क्षेत्र की चिंताजनक दशा को सुधारने के लिए सन् 2006 में स्वामीनाथन समिति द्वारा दी गयी रिपोर्ट में भी ऐसे प्रावधानों का उल्लेख है।  तब से लेकर आजतक हर साल आत्महत्या करने वाले किसानों की दशा सुधारने हेतु स्थायी बंदोबस्त करने की दिशा में कोई ठोस पहलकदमी नहीं हुई।  परिणामस्वरूप, किसान और कृषि-व्यवसाय क्रमशः उजड़ते चले गये हैं।  ये विधेयक किसानों की दशा सुधारने की दिशा में उठाये गए दूरगामी और सुचिंतित कदम हैं।

(लेखक जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता हैं और छात्र कल्याण का भी दायित्व निर्वहन कर रहे हैं।)

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TAGS: कृषि विधेयक, उस पर राजनीति, Agriculture bill, politics on it
OUTLOOK 23 September, 2020
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