Advertisement
21 October 2022

अपने पतन के लिए जिम्मेदार ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस

ब्रिटेन की संसद में एक दिन पहले विरोधियों को जवाब देते हुए जोर जोर से ये कहने वाली कि मैं “फाइटर हूं क्विटर नहीं”, लिज ट्रस ने योद्धा की भांति शुरुआत तो जरूर की लेकिन उनकी अपनी नीतियों ने ऐसा घेरा कि उनको मैदान छोड़ना पड़ा। साथ ही लिज को लगभग पिछले दो सौ साल में सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले नेता के तौर पर जाना जाएगा। राजनीति में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब एक छोटी सी गलती इतनी भारी पड़ जाती है कि इतिहास में दफन हो जाना पड़ता है। कुछ कुछ ऐसा ही हुआ ब्रिटेन की मौजूदा प्रधानमंत्री लिज ट्रस के साथ। बोरिस जॉनसन की सरकार में बतौर व्यापार मंत्री दो साल तक जबरदस्त परफॉर्मेंस देने के बाद बोरिस ने उनको विदेश मंत्री नियुक्त किया। तत्कालीन वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद के इस्तीफे के बाद जब बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा तो उनकी पसंदीदा लिज ट्रस ने प्रधानमंत्री बनने की दौड़ शुरु की और आखिरकार भारतवंशी ऋषि सुनक को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री भी बन गईँ। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान लो टैक्स और हाई ग्रोथ का नारा देकर लोगों में उम्मीद जगाने वाली लिज ट्रस ने पहले मिनी बजट पेश किया और वही मिनी बजट उनके जी का जंजाल बन गया। लिज के वित्त मंत्री क्वासी क्वार्तेंग ने कॉरपोरेट टैक्स में छूट का ऐलान किया और उसके बाद उठे विरोध की वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ा। रातों रात लिज ने नया वित्त मंत्री नियुक्त किया और ऩए वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने उन सभी घोषणाओँ से यू टर्न ले लिया जो लिज के वादों को पूरा करते हुए पूर्व के वित्त मंत्री ने घोषित की थी। बात यहीं नहीं रुकी। लिज ने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी और कहा कि आगे वो गलतियों में सुधार करेंगी। लिज का माफी वाला बयान गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को नागवार गुजरा और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सुएला का तर्क था कि प्रधानमंत्री का इतने कम समय में अपने फैसले से पीछे हटना उनके कमजोर होने की निशानी है। हालांकि सुएला से लिज खुश नहीं थी क्यूंकि सुएला ने अपने बयानों से भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के रास्ते में अड़चन पैदा की। बतौर व्यापार मंत्री और विदेश मंत्री लिज ने जो फैसले लिए थे, बतौर प्रधानमंत्री उसे पूरा करने का वक्त आया तो उनके ही मातहत मंत्री ने उस पर लगभग पानी फेरने का काम किया। लिज के लिए ये एक तरह से शर्मिंदगी वाली स्थिति थी लिहाजा लिज ने सुएला को इस्तीफा देने के लिए कहा। सुएला के इस्तीफे से कंजर्वेटिव पार्टी के अंदर लिज का विरोध शुरु हो गया। वैसे भी जब वो प्रधानमंत्री की रेस में थी तो उनकी पार्टी के सासंदों की वो दूसरी पसंद थीं। ऋषि सुनक को उस वक्त सबसे ज्यादा 137 सांसदों ने वोट किया था। जिन दो कैबिनेट मंत्रियों को जाना पड़ा उनकी जगह जो दो नए मंत्री लिज ट्रस ने बनाए वो दोनों प्रधानमंत्री के चयन के दौरान ऋषि सुनके के पक्ष में खड़े थे। हालांकि लिज, सुनक के खेमे से या यूं कहें कि अपने विरोधी खेमे से सक्षम व्यक्तियों को मंत्री बनाकर पार्टी नेता के तौर पर अपनी मान्यता स्थापित करना चाहती थीं लेकिन उनका विरोध बढ़ता ही गया।

ब्रिटिश संसद में प्रमुख विपक्षी दल लेबर पार्टी ने दो दिनों में दो मुख्य कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे और टैक्स नीतियों के यू टर्न पर सरकार को घेरा और ये जताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी कि लिज को इस्तीफा देना चाहिए।  हालांकि लेबर पार्टी का मकसद सिर्फ लिज का इस्तीफा नहीं बल्कि अस्थिरता का हवाला देकर आम चुनाव के लिए जोर देना था। मौजूदा सरकार के पास अभी लगभग पंद्रह महीने का वक्त बचा है इसलिए सताधारी कंजर्वेटिव पार्टी बहुमत में होने के कारण फिलहाल चुनाव में जाने के पक्ष में नहीं है और यही वजह रही कि पार्टी के अंदर लिज का विरोध महज 24 घंटे में इतना बढ़ गया कि गुरुवार की सुबह लिज को फैसला लेना पड़ा और महज 44 दिनों की सरकार चलाने के बाद लिज ने इस्तीफा देना तय किया। ब्रिटेन के इतिहास में ऐसा राजनैतिक संकट पहली बार देखने को मिल रहा है।

ब्रिटेन इन दिनों पिछले आधी सदी के सबसे बुरे आर्थिक दौर से तो गुजर ही रहा है साथ ही इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से भी रू-ब-रू हो रहा है। पिछले बारह साल से सत्ता में बैठी कंजर्वेटिव पार्टी में ब्रिटेन की जनता ने भरोसा जताकर ब्रेग्जिट जैसे ऐतिहासिक फैसले में साथ दिया है। स्कॉटलैंड की जनता ने जनमत के दौरान ब्रिटेन के साथ रहने की हामी भरी है। ये सारी कवायद कंजर्वेटिव पार्टी के इसी शासन के दौरान हुई है लेकिन पिछले चार महीनों में जिस तरह से पार्टी ने नेता बदलने पर मजबूर किया है उसने भारत के उस दौर की याद दिला दी है जब रातों रात एच डी देवेगौड़ा को हटाकर इंद्र कुमार गुजराल को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था।

Advertisement

अब इतना तो तय ही है कि चार महीने से कम समय में आने वाले दिनों में ब्रिटेन को तीसरा प्रधानमंत्री और पाचंवां वित्त मंत्री मिलेगा, वो भी ऐसे वक्त में जब देश ब्रेग्जिट की मार से ठीक से उबर नहीं पाया है और रूस-यूक्रेन युद्ध के दुष्परिणामों ने महंगाई इतनी बढ़ा दी है कि देश की आम जनता परेशान है। प्रमुख विपक्षी दल लेबर पार्टी के साथ साथ सभी दूसरे विरोधी दल भी आम चुनाव की मांग करने लगे हैं। जाहिर है कि बहुमत के साथ सत्ता में आई मौजूदा सत्तानशीं कंजर्वेटिव पार्टी में अगर नेतृत्व को लेकर इतनी लड़ाईयां होती रहेंगी तो विरोधियों को मौका मिलेगा और आम जनता को भी लगेगा कि अगर इस पार्टी के नेताओँ में ही सामंजस्य नहीं है तो इनको सत्ता में रहने का क्या अधिकार है। इसीलिए इस बार संवैधानिक स्तर पर ये तय किया गया है कि महज आठ दिनों में नया प्रधानमंत्री चुन लिया जाएगा। अब नए प्रधानमंत्री के लिए जिन नामों की चर्चा है उनमें ऋषि सुनक, पेनी मार्डेंट के साथ साथ बोरिस जॉनसन का भी नाम आ रहा है। बोरिस इन दिनों परिवार के साथ डोमेनिक रिपब्लिक में छुटिट्यां बिता रहे हैं। अभी तक किसी नेता ने अपनी उम्मीदवारी पर कोई बयान नहीं दिया है। सुनक पिछले 45 दिनों से चुप्पी साधे हुए हैं और एक दर्शक की तरह सारी परिस्थितियों पर नजर रखे हुए हैं। भले ही आऩे वाले हफ्ते में कंजर्वेटिव पार्टी अपना नेता चुनकर उसे देश का नया प्रधानमंत्री घोषित कर दे लेकिन उसके लिए ब्रिटेन को आर्थिक और राजनैतिक तौर पर पटरी पर लाना आसान नहीं होगा। 2024 की शुरुआत में अगला आम चुनाव तय है लेकिन अगर कंजर्वेटिव पार्टी की अपनी अंदरूनी लड़ाई नहीं थमी तो ये आम चुनाव पहले भी हो सकता है।

(लेखक इन दिनों इंग्लैंड में रहकर भारत-यूरोप संबंधों पर शोधरत हैं)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: British Prime Minister, Liz Truss, resigns, six weeks, Anuranjan Jha
OUTLOOK 21 October, 2022
Advertisement