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22 December 2016

94 वर्षीय आनंद दीक्षित को मिलेगा भाषा सम्मान

   कल अकादेमी सचिव के. श्रीनिवासराव से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में, गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं के साहित्य-समृद्घि में अपना बहुमूल्य योगदान करने वाले जिन चार अन्य लेखकों को भाषा सम्मान दिया जाएगा, वे हैं- कुडुख भाषा के डॉ. निर्मल मिंज, लद्दाकी के प्रो. लोजांग जम्सपाल व गिलोंग थुपस्‍थान पलदान (संयुक्त), हल्बी के हरिहर वैष्‍णव और सौराष्ट्र भाषा के डॉ. टी.आर. दामोदरन व लेखिका टी.एस. सरोजा। साहित्य अकादेमी हिंदी परामर्शमंडल के संयोजक एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व‌ हिंदी विभागाध्यक्ष एवं पत्रकारिता विभाग के संस्‍थापक प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने अकादेमी में सामान्य विवरिणका के हवाले से आउटलुक को बताया कि दरअसल, बीसवीं शताब्दी के आखिरी दशक में महसूस किया गया कि सौ से अधिक भाषा-उपभाषाओं के बहुभाषाई इस देश में साहित्य अकादेमी को अपनी गतिबिधियों की सीमा बढ़ाकर गैर-मान्यता प्राप्‍त / आठवीं अनुसूची में स्‍थान न पाने वाली भाषाओं में भी सृजनात्मक साहित्य के साथ ही शैक्षिक अनुसंधान आदि को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसी सोच के तहत 1996 में ऐसी भाषाओं के प्रचार, आधुनिकीकरण / संवर्धन में लगे लेखकों, विद्वानों, संपादकों, संग्रहकर्ताओं, प्रस्तोताओं, अनुवादकों के लिए भाषा सम्मान की स्‍थापना की गई। 3-6 विद्वानों को दिए जाने वाले इस सम्मान की शुरुआती धनराशि 25,000 रुपये थी, जो समय-समय पर बढ़ाते हुए 2009 से एक लाख रुपये कर दी गई है। बताया गया कि प्रत्येक भाषा सम्मान के लिए चयनित लेखकों/विद्वानों को एक लाख रुपये के साथ एक ताम्रफलक और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाएगा। संयुक्त सम्मान की स्थिति में दोनों विजेताओं को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे।

   हिंदी-संस्कृत के प्रख्यात विद्वान, वयोवृद्घ डॉ. दीक्षित ने मध्यकालीन साहित्य की अनेक पांडुलिपियों का संपादन किया है, तो 100 से अधिक निबंधों के लेखक और 300 से अधिक कृतियों के समीक्षक, तेलुगु विद्वान श्री राव को करीब आधा दर्जन पुरस्कार प्राप्त हैं। डॉ. मिंज, लोजांग, पालदन, हरिहर, दामोदरन और सुंदरराजन भी अपने-अपने शीर्षस्‍थ विद्वान हैं।  

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TAGS: साहित्य अकादेमी, आनंद दीक्षित, भाषा सम्मान, गैर मान्यताप्राप्त भाषा, के. श्रीनिवासराव
OUTLOOK 22 December, 2016
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