पखावज में प्राण भरने को कृत संकल्प महंत
वाराणसी में 16 अप्रैल से 21 अप्रैल 2025 तक सम्पन्न हुए 102 वें संकट मोचन संगीत समारोह में बॉसुरी सम्राट हरि प्रसाद चौरसिया,मैण्डोलिन और ड्रम वादन के लिए देश विदेश में मशहूर पंडित शिवमणि और यू राजेश तथा ध्रुपद गायिकी के बडे सितारे उस्ताद वासिफउददीन डागर की प्रस्तुतियों में इस संगीत समारोह के संयोजक महंत विशम्भर नाथ मिश्र ने पखावज पर संगत कर एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित कर दिया। महंत विशम्भर नाथ मिश्र ने पारंगत कलाकार के जौहर दिखाते हुए पखावज वादन कर ऐसा धमाल मचाया कि इस समारोह में पांच दशकों से अनवरत रुप से अपनी हाजिरी लगाते रहे पंडित हरि प्रसाद चौरसिया भाव विभोर होकर मंच से ही बोल पडे कि महंत जी के साथ जुगलबंदी करते हुए मैं नर्वस हो रहा था और संकट मोचन मुझे जब तक बुलाते रहेगें, मेरी क्या औकात, मैं तो हाजिरी लगाने आता ही रहॅूगा,बस अब हर बार संगतकार के रुप में पखावज महंत जी ही बजायेंगे ।
दरअसल वाद्य यंत्र पखावज महंत परिवार के संस्कारों में है । संकट मोचन मंदिर के महंत और संकट मोचन संगीत समारोह के संस्थापक पंडित अमर नाथ मिश्र अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच जब फुरसत पाते तो अपने प्रिय वाद्य पखावाज पर हाथ आजमाते परन्तु बीती सदी के तीसरे दशक के तीसरे साल यानि वर्ष 1923 से प्रारम्भ संकट मोचन संगीत समारोह में इसके संस्थापक महंत पंडित अमर नाथ मिश्र ने 1977 तक यानि 54वें संकट मोचन संगीत समारोह तक कभी पखावज वादन की अपनी प्रस्तुति इस समारोह में नहीं दी । एकाएक साल 1978 में पचपनवें संगीत समारोह में महंत अमर नाथ मिश्र ने पखावज वादन की अपनी प्रस्तुति दी तो संगीत रसिक इतनी सधी हुई प्रस्तुति देखकर हैरत में पड गये ।
इधर साल 1977 में बैठक में अपने बाबा को पखावज पर रियाज करता देख दस वर्ष के बालक विशम्भर नाथ मिश्र का पखावज प्रेम यही से पनपा । रियाज के दौरान पखावज को कौतुहल से निहारते पौत्र विशम्भर नाथ मिश्र को एक दिन बाबा महंत अमर नाथ मिश्रा ने देखा तो अपने पास बैठाकर पखावज वादन सीखाना शुरु किया। इस तरह लगभग 49 साल पहले बाबा और पौत्र के बीच गुरु शिष्य परम्परा का आगाज हुआ।
लोक कहावत है कि समय पंख लगाकर उडता है, विशम्भर नाथ मिश्र के लिए भी समय पंख लगाकर ही उडा । स्कूल से कालेज और कालेज से रुडकी में इंजीनियरिंग की पढाई ,उसके बाद दाम्पत्य जीवन की शुरुआत, बीएचयू आई आई टी के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसरी,बाबा महंत अमर नाथ मिश्र और पिता महंत वीरभद्र मिश्र के सामाजिक,सांस्कृतिक कार्यो में एक कार्यकर्ता की भूमिका निर्वहन करने के बीच गंगा सफाई अभियान के प्रबल पैरोकार, अखाडे के पहलवान और वर्ष 2013 में संकट मोचन मंदिर के 13वें महंत के गुरुत्तर दायित्च के निर्वहन की व्यस्तताओं से घिरे प्रो0 विशम्भर नाथ मिश्र को पखावज का रियाज करने का कभी समय ही नही मिला ।
अपने प्रिय वाद्य पखावज पर हाथ आजमाने के लिए महंत विशम्भर नाथ मिश्र भीतर ही भीतर अकुलाते रहते। पचास की उम्र तक पहुंचते पहुंचते पखावज वादन की अकुलाहट चरम सीमा पर पार करने पर अपने पचासवें जन्मदिन पर महंत विशम्भर नाथ मिश्र ने तय किया कि समय का अभाव चाहे कितना हो ,वह समय निकाल कर अपने बाबा की परम्परा को आगे बढायेगें । पचास की उम्र में पखावज वादन आसान नही होता है लेकिन मंहत विशम्भर नाथ मिश्र तो उनमें से है जो सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करते है कि वह अव्वल दरजे के जिददी हैं, अपनी जिदद के लिए वह किसी की नही सुनते और लीक से हटकर काम करने का,फैसले करने का संस्कार उन्होनें अपने देवतुल्य पिता पूर्व महंत वीरभद्र मिश्र से वंशानुगत पाया है, इसमें उनका क्या दोष ।
बहरहाल 2016 से पखावज वादन के रियाज का सिलसिला शुरु हुआ । हांलाकि यह सिलसिला महंत विशम्भर नाथ मिश्र की वाराणसी में सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों और संकट मोचन मंदिर की जिम्मेदारियों के बीच कभी नियमित नही हो पाया । यदा कदा ही महंत विशम्भर नाथ मिश्र पखावज पर रियाज करते ।
साल 2019 में दिल्ली में सोपोरी एकेडमी ऑफ म्यूजिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित 15वें सामापा संगीत सम्मेलन में दुर्लभ वाद्य पखावज वादन की एकल प्रस्तुत कर महंत विशम्भर नाथ मिश्र ने संगीत प्रेमियों को आश्चर्यचकित कर दिया, वह भी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो कई अन्य क्षेत्रों में एक प्रतिष्ठित नाम जरुर है परन्तु प्रदर्शनकारी कलाकार के रूप में नहीं जाना जाता है। सोपोरी एकेडमी ऑफ म्यूजिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स की प्रस्तुति के बाद पंडित विशम्भर नाथ मिश्र देश भर जहां तहां पखावज वादन करते रहे परन्तु वाराणसी में विशेष रुप से संकट मोचन संगीत समारोह में अपनी प्रस्तुति देने से बचते रहे ।
वाराणसी में हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित होने वाले ध्रुपद मेले में महंत विशम्भर नाथ मिश्र यदा कदा पखावज वादन बतौर संगतकार करते रहते परन्तु संकट मोचन संगीत समारोह में अपने बाबा की मानिंद अपनी प्रस्तुति देने से उनके संस्कार रोकते। संकट मोचन संगीत समारोह के एक सौ एक वें आयोजन में महंत विशम्भर नाथ मिश्र के दोस्त गुंदेचा बन्धु के आग्रह पर बतौर संगतकार पखावज वादन कर साल 1978 के अपने बाबा के इतिहास दोहरा दिया ।
इस बार बीते साल दोहराये गये इस इतिहास को बॉसुरी सम्राट पंडित हरि प्रसाद चौरसिया फिर दोहराये जाने की जिदद कर बैठे । हुआ यह कि दशकों से संकट मोचन संगीत समारोह में हाजिरी लगाने आते रहे पंडित हरि प्रसाद चौरसिया को यह इल्म ही नही था कि महंत विशम्भर नाथ मिश्र बेहतरीन पखावज वादक भी है । हाल ही में 29 मार्च को बीएचयू संगीत एवं मंच कला संकाय के कौस्तुभ जयंती समारोह में पद्मश्री ॠत्विक सान्याल का कार्यक्रम हुआ तो ॠत्विक सान्याल ने बतौर संगतकार महंत विशम्भर नाथ मिश्र से पखावज वादन का अनुरोध किया गया । इतने बडे कलाकार के अनुरोध को महंत विशम्भर नाथ मिश्र टाल नही सके । उनकी यह प्रस्तुति सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी और इसी के परिणामस्वरुप पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के संज्ञान में यह आया कि अरे जिसे दशकों से जानता हॅू ,वह पखावज वादक भी है । उसी समय पंडित जी ने मन ही मन एक जिदद ठान ली थी कि इस बार संकट मोचन संगीत समारोह में उनके संगतकार महंत विशम्भर नाथ मिश्र ही होगें । बॉसुरी सम्राट पंडित हरि प्रसाद चौरसिया की जिदद के समक्ष मंहत विशम्भर नाथ मिश्र नत मस्तक हुए और उनके साथ संगत कर ऐसा धमाल मचाया कि श्रोताओं को वर्षो तक याद रहेगा । यह मंहत विशम्भर नाथ मिश्र की विनम्रता ही कही जायेंगी कि उनकी धमाल प्रस्तुति के बाद जब पूरा परिसर तालियों से गूंज रहा था तक उन्होनें कहा कि पंडित जी के साथ जुगलबंदी करते हुए मेरी तो हवा ही निकल गयी ।
पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ पखावज पर महंत विशम्भर नाथ मिश्र की पखावज पर संगत मीडिया में वायरल हुई तो प्रस्तुति से ठीक आधा घंटे पहले मैण्डोलिन वादक यू राजेश, ड्रम वादक पंडित शिवमणि भी बच्चों की मानिंद जिदद कर बैठे कि महंत जी हमारे साथ भी संगत कीजिये । पाश्चात्य वाद्य मैण्डोलिन और ड्रम के साथ पखावज वादक बिना किसी रिर्हसल के करना आसान काम नही है लेकिन महंत विशम्भर नाथ मिश्र हर चुनौती को स्वीकार करने में माहिर है। यू राजेश और पंडित शिवमणि के साथ भी पखावज बजाया और खूब बजाया । समारोह की तीसरी निशा में उस्ताद वासिफददीन डागर के साथ ध्रुपद गायल में भी संगत की । कुल मिलाकर 102वें संकट मोचन संगीत समारोह में महंत विशम्भर नाथ मिश्र की पखावज की तीन प्रस्तुतियां श्रोताओं को दशकों तक याद रहेगी । गजब यह कि 59 वर्षीय महंत विशम्भर नाथ मिश्र भी श्रोताओं से मिले प्रोत्साहन से इस कदर गदगद हुए कि मंच से घोषणा कर दी कि संकट मोचन की कृपा से अब वह पखावज वादन के क्षेत्र में कुछ कर के ही दिखायेगें ।