मुक्तिबोध के मित्र कवि मलय का निधन
हिंदी के वयोवृद्ध कवि मलय का कल रात जबलपुर में निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे, हिंदी के युग प्रवर्तक कवि मुक्तिबोध और प्रख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के वे आत्मीय मित्रों में से थे और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े हुए थे। उनके 12 कविता संग्रह छाप चुके थे उनका पहला कविता संग्रह 1962 में प्रकाशित हुआ था। वे हरिशंकर परसाई रचनावली तथा वसुधा पत्रिका के संपादक मंडल में थे।
उनका जन्म 19 नवंबर सन् 1929 को तत्कालीन मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) के जबलपुर जिले के सहसन नामक एक छोटे गांव के किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही पाई थी।१२ वर्ष की आयु में ही उनके माता पिता का निधन हो गया था। मलय ने उच्च शिक्षा जबलपुर विश्वविद्यालय से पूरी की। हिन्दी विषय में उन्होंने एम॰ए॰ की शिक्षा पूरी करके बाद में यू॰जी॰सी॰ रिसर्च फैलोशिप लेकर इसी विश्वविद्यालय से 1968 में पीएच॰डी॰ की उपाधि पायी। उन्होंने शुरू में पत्रकारिता की। वे 'प्रहरी' (साप्ताहिक), 'परिवर्तन' (साप्ताहिक) और 'जबलपुर समाचार' (अब 'देशबंधु') जैसे पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे।
बाद में छत्तीसगढ़ में राजनांदगाँव के दिग्विजय महाविद्यालय में तथा जबलपुर के आदर्श विज्ञान महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। जबलपुर के ही शासकीय महाकौशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए। 1985 से 90 तक वसुधा के संपादक मंडल के सदस्य रहते हुए नये रचनाकारों को उचित मंच प्रदान करने में भी उन्होंने योगदान दिया। उन्हें भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार भवभूति सम्मान और रामचन्द्र शुक्ल सम्मान मिल चुका था।