Advertisement
06 October 2020

लॉकडाउन के बाद सत्याग्रही के लिए जुटी भीड़

हर दिन स्क्रिप्ट पढ़ने, संवाद याद करने और भूमिका के लिए अभ्यास करने के अभ्यस्त कलाकार लॉकडाउन में जैसे काठ के होकर रह गए थे। रंगमंच सूना था और तमाम दूसरी बातों की तरह यहां भी हर गतिविधि बंद थी।

जैसे ही, अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय भी अपने रंग में लौटने लगा। कोरोना काल के बाद पहली बार वेबिनार से निकल कर रानावि अपने असली रूप में आया। पिछले दिनों ड्रामा स्कूल ने ओपन थिएटर में 'पहला सत्याग्रही' नाम से नाटक का मंचन किया और महामारी के तमाम भय को पीछे छोड़ते हुए इस मंचन को दर्शकों की जरा भी कमी महसूस नहीं हुई। एनएसडी रेपर्टी कंपनी के इस नाटक को देखने के लिए काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

गांधी जयंती के अवसर पर हुए इस मंचन के बारे में ड्रामा स्कूल के निदेशक सुरेश शर्मा ने आउटलुक को बताया, 'हमने लगभग 100 लोगों को नाटक देखने की व्यवस्था की थी। गेट पर ही हाथ सेनेटाइज कराने के अलावा मास्क अनिवार्य था। हमें लगा था कलाकार बहुत दिनों तक रंगमंच से दूर नहीं रह सकते। लेकिन दर्शकों की मौजूदगी ने हमें एहसास कराया कि नाटकों के मुरीद भी लंबे वक्त तक इससे दूर नहीं रह सकते।'

Advertisement

ज्यादा लोगों को बैठने की व्यवस्था के चलते इस बार स्टेज थोड़ा बड़ा बनाया गया था। ताकि कलाकार भी एक निश्चित दूरी पर रह सकें। दर्शकों के बैठने की व्यवस्था भी ऐसी की गई थी कि दो लोगों के बीच पर्याप्त दूरी रहे।

नाटक में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका के आंदोलन से लेकर चंपारण, नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन को सिलसिलेवार ढंग से दिखाया गया। गांधी जी के दक्षिण अफरीका से लेकर विभिन्न आंदोलन से लेकर उनकी हत्या तक की तमाम यात्रा पर आलेख रविन्द्र त्रिपाठी ने तैयार किया था, जबकि निर्देशन सुरेश शर्मा ने किया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Mahatma gandhi, NSD, Pehla Satyagrahi, suresh sharma, ravindra tripathi, महात्मा गांधी, पहला सत्याग्रही, सुरेश शर्मा रविन्द्र त्रिपाठी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
OUTLOOK 06 October, 2020
Advertisement