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03 June 2024

भावभीनी नृत्य- रसवर्षा

राजधानी दिल्ली में स्थापित नृत्य दीक्षा भरतनाट्यम की एक प्रमुख संस्था है। इस संगठन की संस्थापक मशहूर नृत्यांगना और गुरु प्रिया वेंकटरमण ने युवाओं को नृत्य का प्रशिक्षण प्रदान करने में उल्लेखनीय कार्य किया है। नृत्य दीक्षा में उनकी क्षत्रछाया में बहुतेरे छात्र बड़े चाव और लगन से नृत्य सीख रहे हैं। छोटे बच्चों से लेकर युवा वर्ग के शिष्यों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने और नृत्य कला के प्रति चेतना जगाने और संस्कार देने में उनका महत्वपूर्ण प्रयास है।

युवा कलाकारों का उत्साह बढ़ाने और मंच पर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए वे कार्यक्रमों का आयोजन भी करती हैं। उनसे सीख रहे अनेकानेक शिष्य - शिष्याओं में कई कुशल कलाकार बनकर उभर रहे हैं। भारत के अलावा प्रिया के बहुतेरे, शिष्य, कई देशों में हैं। हाल ही में प्रिया वेंकटरमण ने नृत्य दीक्षा के अन्तर्गत गुरुग्राम के एपिक सेन्टर में परंपरा के नाम से संगीत नृत्य के कार्यक्रम का आयोजन किया। मंगलाचरण के रूप में प्रिया के छात्रों द्वारा नृत्य का आरंभ परंपरागत पुष्पांजलि की प्रस्तुति से हुआ। यह भक्ति पूर्ण प्रस्तुति भगवान और गुरु के चरणों पर अर्पित थी। इसे हर्षना, देविका, तिषा, महिरा, कीर्ति, काव्या, अरिशा, शान्या, दिया, तारिनी, सनविका आदि ने पूरे चाव और तन्मयता से प्रस्तुति किया।

भरतनाट्यम में व्याकरण बद्ध जति स्वरम में जति यानी बोलु ताल और लय में प्रस्तुति खास है। राग कल्याणी में निबद्ध जति स्वरम को युवा नृत्यांगना सांची गुप्ता ने सही लीक पर विविध प्रकार के चलनों पर खूबसूरती से पेश किया। गोस्वामी तुलसीदास के भजन श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन को नृत्य दीक्षा के छात्रों ने सामूहिक नृत्य में भक्तिभाव में तलीनता से प्रस्तुत किया। वरनम भरतनाट्यम नृत्य का मुख्य हिस्सा है। इसमें साहित्य, नृत्य, नृत और अभिनय का सटीक समन्वय है। इसमें रचना के भाव में कृष्णा के साथ सत्संग और रास रचाने वाली गोपियों की स्मृति में पीड़ा दायक पुरानी यादें कौंध रही है। जो क्षण उन्होंने कृष्णा के साथ बिताएं। गोपियों के मनोभावों में कृष्णा के प्रति जो अटूट प्रेम है। उसका स्थाय और संचारी भाव में समूह नृत्य श्रुष्टि, अनन्या, सरयू, गिया, नितशा, मृतिका, अदित्री, श्रुति, लुधमिला, अद्या, आलिया, सानवी, अक्षरा और प्रिशा द्वारा प्रस्तुति काफी रसपूर्ण और रोमांचक थी।

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शक्ति यानी भगवान शिव की उपासना में पारशक्ति जननी तमिल रचनाकार पावनासम शिवम की रचना पर आधारित थी। वीर रस में यह प्रस्तुति काफी कलात्मक और प्रभावी थी। अगली प्रस्तुति कथक शैली में थी। राग चारूकेसी में निबद्ध इस प्रस्तुति में कर्नाटक संगीत के रसपूर्ण तत्वों को सजगत से जोडा गया था। इसमें नृत्य की गति और प्रवाह आकर्षक था। कथक नृत्यांगना जयश्री आचार्य की नृत्य संरचना और गुरु शिवशंकर रे व प्रतीप बनर्जी की संगीत रचना में स्वरब़द्ध चांदलीला, की लयात्मक गति और मधुर सुरों के स्पंदन में प्रस्तुति बड़ी लुभावनी दिखी। आखिर में भरतनाट्यम में सुविख्यात कर्नाटक संगीत के गायक बालमुरली कृष्णा द्वारा रचित तिल्लाना को ताल और लय में बांधकर नृत्यांगनाओं ने शुद्धता और सरसता से प्रस्तुत करने में अपनी प्रतिभा को दर्शाया।

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TAGS: Soulful Dance, Rasvarsha
OUTLOOK 03 June, 2024
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