Advertisement
03 March 2024

गुरु से शिष्यों तक जाती परंपरा

संगीत जगत में हिन्दुस्तानी गायिकी की मशहूर गायिका विदुषी सुमित्रा गुहा ने शास्त्रीय -लोक गायन और विविध रागों में संगीत रचना करने में सफल प्रयोग किए हैं। संगीत के प्रचार – प्रसार के लिए वे लगातार कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं। एक प्रतिष्ठित गुरु के रूप में स्थापित सुमित्रा जी अपनी संस्था सुमधुर हंसध्वनि में पूरे लगन और निष्ठा से संगीत के छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं। हाल ही सुमधुर हंसध्वनि के बैनर के तले स्वर लहर संगीत बैठक का कार्यक्रम सूरजकुंड में आयोजित हुआ। इसमें गायन और वादन में प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित नित्यानंद हल्दीपुर शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत अमेरिका में बसी विख्यात शास्त्रीय गायिका सुश्री मिताली भौमिक गायन से हुई। वे सुविख्यात वायलिन वादक और संगीतकार पं. वी.जी. जोग की की सुयोग्य शिष्या हैं।

उन्होंने गाने की शुरुआत राग शुद्ध सारंग से की विशुद्ध रागदारी में उनकी गूंजती- घेरती आवाज में काफी गहनता और सुरीलापन दिखा। बंदिश “पिया न ही बोले अब मोरी माने” को भावपूर्णता से गाने में स्वरों का संचार, सरगम आकार की ताने, मीड आदि की निकास रसिकों का अतरंग अनुभव बना। राग मांड ठुमरी, निपट - कपट सैया काहे बनावो बतिया की पेशकश सहज और मधुर थी। उनके गाने के साथ तबला पर सुमन चटर्जी, हरमोनियम वादन में अंकित कौल ने बराबर की संगत की सितार में उस्ताद विलायत खां की वरिष्ठ शिष्या, वीना चन्द्रा बहुत सुलझी हुई वादिका दिखीं।

उन्होने तंत्रकारी और गायिकी अंग में राग हेमावती को शुद्धता और अनोखे अन्दाज में पेश किया। आलाप में धीरे-धीरे  स्वरों की बढ़त से राग के स्वरूप को निखारना, तालबद्ध गत को पेश करने में गमकदार तानें मींड खरज से लेकर ऊपर के स्वरों में संचार और लयकारी में चलन में सघन तैयारी नजर आई। तबला पर सुमन चटर्जी ने ओजपूर्ण संगत की निपुण और सुरीले बांसुरी वादक पं नित्यानंद हल्दीपुर ने इस वाद्य में अपनी मौलिक जगह बनाई है।

Advertisement

संगीत जगत की बड़ी शख्सियत सुविख्यात संगीतज्ञ, सूर बहार, सितार वादिका और प्रतिष्ठित गुरु विदूषी अन्नपूर्णा देवी के शिष्य नित्यानंद ने गुरु से वादन के विलक्षण और अनूठे वादन के गुर समर्पित होकर गहराई से सीखे, और वादन में उतारे हैं। बजाने में वे ध्रुपद  और ख्याल दोनो में महारत रखते हैं। इसलिए उनके वादन में एक अलग ही आस्वादन है जिसकी विस्मित करने वाली कलक राग माखा की प्रस्तुति में दिखी ।विलंबित एकताल की गत में स्वर संचार की बारीकियां तीन ताल पर गत की बंदिश को पेश करने में विविध तरह से स्वरों की निकास, लय के साथ खेलने का अन्दाज चमकदार, ताने और द्रुत की लयकारी का चलन देखने लायक थी। आखिर में पहाड़ी धुन की प्रस्तुति भी बड़ी सरस थी। उनके वादन के साथ अनूप घोष ने लाजावाब संगत की।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: tradition, passed, guru to disciples
OUTLOOK 03 March, 2024
Advertisement