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22 August 2025

मुखर तबला वादन, मधुर सुरबहार

कला के क्षेत्र में गुरु-शिष्य परंपरा का दौर हर युग में रहा। देश की आजादी के पहले खासकर संगीत और नृत्य के क्षेत्र में यह परंपरा घरानो की चहारदिवारी में सिमटी थी। गैर-घराने वालों को घराने के उस्ताद और गुरु नहीं सिखाते थे। आज के आधुनिक दौर में कलाएं घरानों की दीवार तोड़कर बाहर आ गई हैं। उस्ताद-गुरु भी रोजी-रोटी के लिए बाहर के लोगों को सिखाने के लिए मजबूर हो गए। घराना परंपरा भले ही टूट गई हो पर यह कड़‌वी सच्चाई है कि आज भी कला के क्षेत्र में ज्यादातर जो युवा कलाकार प्रखरता से उभरते हैं, वे घरानेदार ही होते हैं। उनमें संगीत-नृत्य के क्षेत्र में अनगिनित कुशल युवा कलाकार हैं, जो घराने के उस्तादों के रिश्‍तेदार हैं।

हाल में ऐसे ही एक प्रतिभावान युवा तबला वादक राहुल कुमार मिश्र की एकल प्रस्तुति देखने को मिली। बनारस घराने के विख्यात तबला वादक पं. रामकुमार मिश्र के पुत्र राहुल वाकई में नैसर्गिक प्रतिभा के धनी हैं। पिता के साथ युगल तबला वादन में उसने अपनी थिरकती उगलियों से जो चमत्कारिक रंग बिखेरे, वह वाकई चकित कर गया।

तीनताल पर बनारसी अंदाज में उठान, कई प्रकार के कायदे तोड़े, गत की बोल-बंदिशों और लयात्मक गतियों में तिरकिट के बोल, रेला, तबला के शिखर पुरुष पंडित अनोखे लाल की लयकारी और द्रुत में लय के जो रंग उसने दिखाए, वह बहुत ही रोमांचक थे। वादन में बेटे का उत्साह बढ़ाने के साथ पं रामकुमार ने कई बोलों में गुंथे छंद, बजाने में पूरब और पश्चिम अंग की झलक और तबला का पहला कायदा पेश करने में अपने करिश्माई तबला वादन का जादू बिखेरा। हेंबिटेट सेंटर के अमलतास सभागार में कार्यक्रम को लिजेंड आफ इंडिया हेरिटेज बैठक के तहत आयोजित किया गया था।

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कार्यक्रम के दूसरे चरण में सुपरचित सुरबहार वादिका सुश्री राधिका सेम्सन ने जाने-माने परवावज वादक डॉ. अनिल चौधरी के परवावज संगत पर संपूर्ण स्वरों के राग यमन को अलाप में पूरे न्याय से बरतते हुए विस्तार में शुद्धता से प्रस्तुत किया। वैसे भी ध्रुपद अंग में राग मालकोंस, दरबारी, मारवा यमन आदि की जो छटा है वह इस वाद्य में भी खूब दिखती है। सबसे बड़ी बात थी कि रागदारी के विविध चलनों में कोई व्यवधान राधिका की प्रस्तुति में नजर नहीं आई। धीरे-धीरे स्वर विस्तार से राग के स्वरूप को निखारने में खरज से लेकर ऊपर के स्वरों का स्पर्श, संतुलित गमक का प्रयोग, एक नियंत्रित ट्युनिंग में स्वरों का उगलियों से संचालन आदि करने में राधिका पूरी तरह परिपक्व दिखीं / बजाने की सहज गति में शांत भाव का मनमोहक प्रवाह था। ताल घमार पर गत की रचना की भावपूर्ण प्रस्तुति में स्वरों का संचार और लयात्मक गति में सौन्दर्यपूर्ण रमणीयता नजर आई। आठ मात्रा में निबद्ध बंदिश की प्रस्तुति में स्वरो का ताना बाना पूरी तरह से रससिक्त था। पखावज पर अनिल चौधरी ने संतुलित और बराबर की संगत की।

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TAGS: Vocal Tabla playing, melodious Surbahar
OUTLOOK 22 August, 2025
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