किताब वापसी अभियान
किताब वापसी अभियान में दो दर्जन कवि, लेखक और कलाकारों का एक दल साहित्यकार अशोक वाजपेयी के घर पहुंचा। अभियान की ओर से तीन लोगों के प्रतिनिधि मंडल कवि रसिक गुप्त, विनीत पांडेय और छायाकार आत्माराम शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने किताब वापसी अभियान की ओर से अशोक वाजपेयी की लिखी किताब उनके द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार वापसी के प्रतिकात्मक विरोध में उन्हें वापस की।
रसिक गुप्ता ने कहा, साहित्य अकादमी एक स्वायत्त संस्था है। ऐसे में अकादेमी अवॉर्ड लौटाकर इसे राजनीतिक हथियार बनाकर लड़ने को हम कवि और साहित्यकार उचित नहीं मानते हैं। लेखक का काम लिखना है। उसे लिखकर अपना विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। जिन लेखकों को अवॉर्ड नहीं मिला वे क्या लौटा कर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसलिए हम अशोक वजपेयी को किताब वापस कर रहे हैं। लेखक को किसी भी दलगत राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए।
किताब वापसी अभियान सभी लेखकों का सम्मान करती है। उनके लेखन का भी सम्मान करती है। किताब वापसी अभियान वास्तव में पाठकों और लेखकों का अभियान है। पुरस्कार वापसी करने वालों के सामने अपना विरोध दर्ज करने के लिए किताब वापसी एक माध्यम है। जिसके जरिये हम अपना विरोध पुरस्कार वापस करने वालों के सामने दर्ज कर रहे हैं। इतिहास में जब पुरस्कार वापसी की घटना का जिक्र होगा, इस बात का भी जिक्र होगा कि बड़ी संख्या में पाठकों ने किताबें वापस कर दी थीं। यह किसी दुराग्रह के कारण नहीं है। लेखन अपना पुरस्कार वापस ले लें। हम किताबें वापस ले लेंगे।