दक्षिण अफ्रीका प्रवास के सौ साल
राजधानी कॉलेज और आकाशवाणी के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार सिंह, जवाहरलाल नेहरू, विश्वविद्यालय की प्राध्यापक मशहूर इतिहासकार प्रो. मृदुला मुखर्जी, हरिजन सेवक संघ के सचिव लक्ष्मी दास और गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्री ज्ञान। ‘मानवता और शांति के प्रतीक गांधी जी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रो. सिंह ने गांधी की आत्मकथा का जिक्र करते हुए कहा कि महात्मा का सारा जीवन सत्य का प्रयोग था और आज की नई पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रो. मुखर्जी ने कहा गांधी जब अफ्रीका से लौटे तब वह सही अर्थों में एक परिपक्व नेता बन चुके थे जिनके पास भारत की करोड़ों जनता के लिए दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता स्पष्ट हो चुकी थी। श्री दास ने कहा गांधी ने हमें आजादी दिलाई बेशक वह एक महापुरुष थे लेकिन आलोचना से परे नहीं थे। फिर भी युवा पीढ़ी को उनकी आलोचना करने से पहले उनके विचारों को जान लेना चाहिये।
श्री ज्ञान ने कहा गांधी एक असाधारण वकील थे जिन्होंने जीवनभर समानता के कानून को लागू करने के लिए संघर्ष किया और शोषण, गुलामी और गैर-बराबरी का विरोध किया।
संगोष्ठी का संचालन कालेज के हिंदी विभाग के प्रवक्ता और ‘अंतिम जन’ के संपादक राजीव रंजन गिरि ने किया। इससे पहले कार्यक्रम के आरंभ में आकाशवाणी दिल्ली के वृंदगान कलाकारों ने श्री सुरेश मिश्रा के निर्देशन में महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तैने कहिए’ की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में इस मंडली ने एक बार फिर बापू के प्रिय भजनों से समा बांध दिया।
अतिथियों का स्वागत आकाशवाणी दिल्ली के उप-महानिदेशक (कार्यक्रम) श्री राजीव कुमार शुक्ल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन –राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य डॉ० संजय मल्होत्रा ने किया। आकाशवाणी के अपर महानिदेशक (कार्यक्रम) उत्तर क्षेत्र राज शेखर व्यास ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। स्मृति चिह्न के रूप में सभी वक्ताओं को औषधीय पौधे उपहार स्वरूप दिए गए। इस विशेष आयोजन के दौरान राजधानी कॉलेज में स्थापित गांधी स्टडी सर्कल का उद्घाटन भी किया गया।