विक्रम सेठ और अनिता देसाई भी लौटा सकते हैं पुरस्कार
अनिता देसाई ने कहा है कि अगर साहित्य अकादमी यह साफ नहीं करता कि वह एक सरकारी संस्था नहीं बल्कि एक स्वतंत्र संस्था है जो अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा, सवाल एवं असहमति के अधिकार के लिए बनी है तो वह अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा देंगी। कन्नड़ लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या और दादरी हत्याकांड समेत दूसरे मुद्दों को लेकर अब तक करीब 34 लेखकों ने अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए हैं।
अनिता ने पेन इंटरनेशनल द्वारा जारी एक बयान में कहा, अगर यह इस तरह की नीति घोषित करने और आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं है तो मैं अपने साथी लेखकों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अकादमी की अपनी सदस्यता एवं वह पुरस्कार त्यागने के लिए बाध्य हो जाउंगी जो उसने मुझे ज्यादा उम्मीद भरे दिनों में एक युवा लेखिका के तौर पर दिया था।
78 साल की लेखिका को 1978 में उनके उपन्यास फायर आॅन दि माउंटेन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने कहा कि उनका जन्म एक एेसे भारत मेें हुआ जिसके संविधान में लोकतंत्रा, बहुलतावाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निहित थी। वह वर्तमान काल के उस भारत को नहीं जानती जहां हिन्दुत्व के बैनर तले भय एवं कट्टरता लेखकों, विद्वानों और धर्मनिरपेक्ष एवं तर्कसंगत सोच में विश्वास करने वाले सभी लोगों की आवाज दबाना चाहती हैं।
उधर, खबर है कि जाने-माने लेखक विक्रम सेठ भी अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा सकते हैं। दिल्ली में अपनी किताब के विमोचन के मौके पर विक्रम सेठ ने .कहा है कि अगर यह संस्था लेखकों की अभिव्यक्ति की आजादी और उनके जीवन का बचाव करने में नाकाम रहती है तो वह पुरस्कार लौटा देंगे। यह उनकी तरफ से कोई चेतावनी नहीं है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह संस्था अपने नाम और इतिहास के अनुरूप जरूर कुछ करेगी। सेठ को वर्ष 1988 में उनके उपन्यास गोल्डन गेट के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला था। उन्होंने लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाए जाने को एक साहसिक कदम बताया है।
- एजेंसी इनपुट