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07 February 2016

'सिर्फ हिंदू कट्टरपंथियों पर सवाल क्‍यों उठाते हैं सेक्‍युलर'

PTI

कोझिकोड में आयोजित केरल साहित्‍य महोत्‍सव में शनिवार को तसलीमा नसरीन ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि भारत एक असहिष्णु देश है। अधिकतर लोग एक दूसरे की आस्था के प्रति सहनशील होते हैं, एेसा मेरा मानना है।' 

साल 1994 में अपने उपन्यास पर बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का विरोध झेलने वालीं और भारत में निर्वासन में रह रहीं तसलीमा ने असहिष्णुता के विषय पर बहस में भाग लेते हुए कहा, देश (भारत) का कानून असहिष्णुता का समर्थन नहीं करता। लेकिन देश में बहुत सारे असहिष्णु लोग हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'भारत में धर्मनिरपेक्ष लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही सवाल क्यों उठाते हैं जबकि मुस्लिम कट्टरपंथियों को छोड़ देते हैं।' 

तसलीमा ने कहा कि भारत में वास्तविक संघर्ष धर्मनिरपेक्षता और कट्टरपंथ के बीच, नए विचारों और परंपराओं के बीच तथा आजादी को महत्वपूर्ण समझने वाले और नहीं समझने वाले लोगों के बीच है। कट्टरता के खिलाफ अपने संघर्ष को बयां करते हुए लेखिका ने कहा, 'सभी धर्म महिला विरोधी थे। हालांकि कट्टरपंथियों ने जो नुकसान पहुंचाया वह अलहदा है।' तसलीमा ने कहा कि धर्म को सरकार से अलग रखा जाना चाहिए। बांग्लादेश में कानून बनाने में धर्म के प्रभाव की वजह से हिंदू और मुस्लिम दोनों महिलाओं का दमन हुआ है।

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इस साल केरल साहित्योत्सव में 150 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेखक भाग ले रहे हैं जिसका आज आखिरी दिन है।

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TAGS: तसलीमा नसरीन, असहिष्‍णुता, केरल साहित्‍य महोत्‍सव, हिंदू कट्टरपंथी, मुस्लिम कट्टरपंथी, धर्मनिरपेक्ष
OUTLOOK 07 February, 2016
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