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03 August 2025

राष्ट्रकवि दिनकर को भारत रत्न देने की उठी मांग

दिनकर संस्कृति संगम न्यास के प्रबंध न्यासी एवं सचिव अरविंद कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर हिन्दी साहित्य के महान कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की जयंती (23 सितंबर) को 'राष्ट्रकवि दिन' घोषित करने और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है। न्यास ने दिनकर जी की साहित्यिक और सांस्कृतिक देन को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने की अपील की है।

पत्र में अरविंद कुमार सिंह ने लिखा कि दिनकर जी की रचनाएं हिन्दी साहित्य के लिए अनमोल हैं, जो समाज को प्रेरित करती हैं। उन्होंने मांग की कि उनकी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर 'राष्ट्रकवि दिन' के रूप में मनाया जाए, ताकि उनकी स्मृति को जीवंत रखा जा सके। साथ ही, उनके अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की सिफारिश की गई है। पत्र में यह भी कहा गया कि दिनकर जी की कविताओं में निहित देशभक्ति और मानवीय मूल्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, जिन्हें संरक्षित करना आवश्यक है।

न्यास ने पत्र में उल्लेख किया कि दिनकर जी की रचनाओं ने साहित्यिक चेतना को बढ़ावा दिया है और उनकी जयंती पर उन्हें सम्मान देना राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। पत्र के अनुसार, यह पहल उनकी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है। न्यास ने यह भी जोड़ा कि दिनकर जी के योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। पत्र में लिखा गया कि उनकी रचनाएं 'हिंदी के सम्मान को बढ़ाती हैं' और 'राष्ट्र के गौरव को दर्शाती हैं', जिसके लिए उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए।

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पत्र में कई ऐसे विभूतियों द्वारा दिनकर के लिए कहे गए कुछ बातों को भी उद्धरित किया गया है। ये दिनकर की साहित्यिक पद को दर्शाता है। हिन्दी के विद्वान आचार्य किशोरी दास बाजपेयी ने कहा था एक बार 'राष्ट्रकवि' के बारे में कहा था,  "सूर के साथ तुलसी, भारतेन्दु के साथ मैथलीशरण गुप्त, पंत के साथ निराला का नाम स्वमेव आ जाता है, लेकिन दिनकर के साथ रखने के लिए कोई दूसरा नाम मुझे नहीं सूझता। वे हिन्दी के अद्वितीय कवि थे।" वहीं,  डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने उर्वशी काव्य के लिए लिखा था, "खड़ी बोली" हिन्दी कविता के जिस चरम बिन्दु को छू सकती थी उसे उर्वशी ने छू लिया। और न भूतो मैं निःसंकोच कहना चाहूँगा। हिन्दी की बहुत उज्ज्वल भविष्य की कामना मेरे मेन में न होती तो मैं यह भी कहता, "न भविष्यति।"

पत्र में बताया गया है कि दिनकरजी पर प्रायः सैकड़ो ग्रंथ पूरे देश में लिखे गये होगे। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, रूसी, स्पेनीश, तेलगू, तमिल, आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके लिए एक बार कहा था कि वे मात्र कवि नहीं देश के निर्माता थे।। वहीं, सूर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर भी उनकी प्रशिका थी।

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TAGS: Deenkar Sanskriti Sangam Trust, Arvind Kumar Singh, National Poet, Arif Mohammad Khan, Narendra Modi, Draupadi Murmu, BJP
OUTLOOK 03 August, 2025
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