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02 August 2024

गीताश्री, सुधांशु गुप्त शिव कुमार ‘शिव’ स्मृति पुरस्कार से सम्मानित

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रथम शिव कुमार ‘शिव’ स्मृति सम्मान पुरस्कार श्रृंखला के तहत उपन्यास श्रेणी में गीताश्री और कहानी में सुधांशु गुप्त को सम्मानित किया गया। गीताश्री को उनके उपन्यास क़ैद बाहर और कहानी के लिए सुधांशु गुप्त को उनके कहानी संग्रह तेहरवां महीना के लिए सम्मानित किया गया। आईआईसी के कमला देवी ब्लॉक में आयोजित समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी, ममता कालिया, चित्रा मुद्ग़ल और महेश दर्पण ने की। इस मौके पर ललिता अस्थाना भी वक्ता के रूप में शामिल हुईं।

समारोह में उपस्थित वरिष्ठ और युवा रचनाकारों के साथ पत्रकारों ने भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शिरकत की। शिव कुमार ‘शिव’ साहित्य जगत के जाने पहचाने नाम थे। उनकी कहानियां सभी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में छपीं। उनका पहला कहानी संग्रह देह दाह 1989 में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद जूते, दहलीज, मुक्ति और शताब्दी का सच कहानी संग्रह आए और पाठको ने इन्हें हाथों हाथ लिया। उनके प्रमुख उपन्यासों में, आंचल की छांव में और वन तुलसी की गंध हैं। 2005 में प्रकाशित उनका उपन्यास तुम्हारे हिस्से का चांद उपन्यास बहुत ही चर्चित रहा था।

किस्सा पत्रिका की संपादक और शिव कुमार जी की बेटी अनामिका शिव ने इस पुरस्कार की शुरुआत की है। उनके साथ आनंद सिंघानिया और मीनाक्षी सिंघानिया का भी इसमें सक्रिय सहयोग रहा।

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सम्मानित रचनाकारों पर बात करते हुए, वरिष्ठ साहित्यकार महेश दर्पण ने कहा, क़ैद बाहर कथ्य और शिल्प के लिहाज से बहुत बेबाक है और यह बहुत अलग तरह की रचना है। शिव कुमार ‘शिव’ को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे दरअसल बैचैन आत्मा थे। वे जब भी अपनी तरह के विचार के साथ जीने वाले के साथ मिलते थे, तो उनके पास कई योजनाएं होती थीं।

पुरस्कार ग्रहण करते सुधांशु गुप्त

प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया का कहना था, दोनों पुरस्कृत कृतियों में कहीं न कहीं शिव कुमार ‘शिव’ जी की नई शुरुआत दिखाई देती है। तेरहवां महीना में संकलित कहानियां मनस्थिति के अलग-अलग पक्षों से गुंफित पाठकों को आकर्षित करती है। हमारे ही जीवन, हम सबकी दुनिया की यह कहानियां सख़्त और नाज़ुक से नाज़ुक बातों को सुंदर ढंग से कहती हैं। पुरस्कृत उपन्यास क़ैद बाहर की कथावस्तु के केंद्र में भी सामाजिक परिस्थितियां हैं, जिसमें नारी-विमर्श को जगह मिलती है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रख्यात लेखक-विचारक अशोक वाजपेयी ने पुरस्कारों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने हिंदी लेखकों के प्रति हिंदी समाज की तथाकथित उदासीनता को लक्ष्य किया। साथ ही देश के अन्य क्षेत्रों की भाषाओं के साथ उनके समाज के परस्पर स्नेह-प्यार को भी परिभाषित किया। उनका कहना था, ‘‘पुरस्कार वास्तव में लेखक को आश्वस्त करते हैं कि उनके लिखे का कोई महत्व या मतलब है।’’

अनामिका शिव मेहमानों, साहित्य-मनीषियों, लेखकों का हार्दिक स्वागत करते हुए बचपन से लेकर अब तक की मधुर स्मृतियों के जरिये पिता को याद किया। पुरस्कार के बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस सम्मान में पुरस्कृत कथाकारों को नकद राशि, स्मृति चिह्न और सम्मान पत्र प्रदान जाएगा। उन्होंने बताया कि हर वर्ष एक उपन्यास और एक कहानी संग्रह के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुरस्कार का उद्देश्य उनके पिता स्वर्कीय शिव कुमार ‘शिव’ के साहित्य पर विमर्श को सकारात्मक दिशा देना है।

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TAGS: geetashree, sudhanshu gupt, shiv kumar shiv, anamika shiv, mamta kalia, mahesh darpan, ashok vajpayee
OUTLOOK 02 August, 2024
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