मुंशी प्रेमचंद की 136वीं जयंती पर डूडल के जरिये गूगल ने दी श्रद्धांजलि
कलम के सिपाही प्रेमचंद को याद कर गूगल ने ग्रामीण मिट्टी की खुशबू लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में जन्में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद के साहित्य में गांव, ग्रामीण और आम आदमी का सरोकार झलकता है और इसलिए उन्हें साहित्य में यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाला कहा जाता है। इंटरनेट की विशाल दुनिया पर विचरण करने वाले यूं तो तमाम लोग हैं, लेकिन इस विशाल दुनिया का प्लेटफॉर्म बन चुके सर्च इंजन गूगल ने हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार को याद करते हुए हाथ में कलम लिए हुए उनकी तस्वीर लगाने के साथ ही ग्रामीण समाज की झलक पेश की है।
अपने लेखन में गरीबी और ग्रामीण समाज का ताना बाना बुनने वाले प्रेमचन्द की कई कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं। अपनी कृति सोजे वतन से अंग्रेजों की नींद उड़ाने वाले महान कथाकार प्रेमचंद ने कई कहानियां और अनगिनत उपन्यास लिखे, जिसके कारण विख्यात साहित्यकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट का खिताब दिया। इनकी प्रमुख कृतियों में गबन, गोदान, कर्मभूमि, सेवासदन, रंगभूमि और निर्मला प्रमुख हैं। उन्होंने कई मर्मस्पर्शी कहानियां लिखीं, जिनमें बूढ़ी काकी, ईदगाह, हीरा मोती और बड़े घर की बेटी जैसी कहानियां उल्लेखनीय हैं। बचपन में धनपत राय उर्फ नवाब राय के नाम से मशहूर प्रेमचंद का आठ अक्तूबर 1936 को निधन हो गया।