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01 August 2016

हंस सालाना गोष्ठी

शब्दांकन से साभार, फोटो भरत तिवारी

कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम अग्रवाल ने करते हुए कहा, राष्ट्रवाद का तर्क निर्विवाद है, उसे नकारा नहीं जा सकता लेकिन इसके लिए लोगों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। इस गोष्ठी में वक्ता के रूप में वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई, प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष मृणाल पांडे, वरिष्ठ पत्रकार और सांसद चंदन मित्र, स्वतंत्र पत्रकार सईद नकवी, युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार मौजूद थे।   

राजदीप सरदेसाई ने कहा कि अब पत्रकार कलम छोड़ कर निर्णायक बन गए हैं। यह दुखद है। मीडिया दबाव डालने और लॉबिंग का माध्यम बन गया है। मृणाल पांडे ने कहा, हिंदी ने अपनी तैयारी अभी भी नहीं की है। हिंदी के उपभोक्ता को हम अभी भी कुछ नहीं दे पा रहे हैं। वही चंदन मित्र ने कहा, घोटालों में मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निभाई है। सईद नकवी ने वैश्विक स्तर पर मीडिया की भूमिका की बात की। 

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TAGS: hans, premchand jayanti, हंस, प्रेमचंद जयंती
OUTLOOK 01 August, 2016
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