Advertisement
09 March 2017

साहित्य अकादमी में महिला दिवस

महिला लेखकों ने अपनी चेतना को सामाजिक चेतना से जोड़कर अपनी लड़ाई लड़नी स्वयं शुरू कर दी है। उन्हें अब अपने लिए किसी और द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों की बैसाखी की जरूरत नहीं है। चित्रा मुद्गल के यह मुखर उद्गार साहित्य अकादमी के सभागार में हर स्त्री की आवाज बन कर उभरे। वह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित परिसंवाद एवं कवयित्री सम्मिलन के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं। उनका कहना है कि स्त्री लेखन को सिर्फ देह विमर्श के खाते में रखना भी एक साजिश है, जिसे हम महिला लेखकों को भलीभांति समझना चाहिए।

इस मौके पर सुप्रसिद्ध अंग्रेजी लेखिका रुक्मणि भाया नायर भी थी। अपने बीज व्याख्यान में उन्होंने कहा, महिलाओं को अब ‘सहना’ नहीं बल्कि ‘कहना’ है। उन्होंने महिला लेखकों से तकनीक की नई चुनौतियों को स्वीकार कर उनकी सहायता से खुद को ज्यादा से ज्यादा अभिव्यक्त करने को कहा। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य संस्थाओं की सर्वे रिपोर्ट के सहारे भारत में महिलाओं के बढ़ते मानसिक तनाव से बचने की सलाह देते हुए उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनने की सलाह दी। उन्होंने भारतीय भाषाओं के स्त्री लेखन को अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं में लाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की भी चर्चा की।

सभी के स्वागत के लिए अकादेमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवासराव उपस्थित थे। उन्होंने अकादमी द्वारा महिलाओं से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों जैसे ‘नारी चेतना’, ‘अस्मिता’ एवं ‘युवा साहिती’ आदि की जानकारी दी। महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अकादमी विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ आदिवासी भाषाओं में भी स्त्री लेखन को सामने लाने के लिए प्रयास कर रही है। स्त्रियों के इस उत्सव में विनीता दत्ता (असमिया), जया मित्र (बांग्ला), नीलम शरण गौर (अंग्रेज्री), उषा उपाध्याय (गुजराती), मुबीन साधिका (तमिल) ने अपनी-अपनी भाषाओं में लिखे जा रहे स्त्री साहित्य की जानकारी दी।

Advertisement

दूसरा सत्र ‘महिला लेखन की चुनौतियां और अवसर’ विषय था। इस सत्र की अध्यक्षता मालाश्री लाल ने की। इंदु मेनन (मलयालम), के. शांतिबाला देवी (मणिपुरी), प्राची गुर्जरपाध्ये (मराठी), हिरण्मयी मिश्र (ओड़िया), अंबिका अनंत (तेलुगु) ने अपनी-अपनी भाषाओं में महिला लेखन के दौरान आने वाली मुश्किलों की चर्चा की।

अंतिम सत्र में कवयित्री सम्मिलन की अध्यक्षता प्रख्यात डोगरी लेखिका पद्मा सचदेव ने की और मीनाक्षी ब्रह्म (बोडो), शशिकला वस्त्राद (कन्नड), नसीम शफई (कश्मीरी), नयना अदारकर (कोंकणी), शेफालिका वर्मा (मैथिली), लीला क्षेत्री (नेपाली), सुखविंदर अमृत (पंजाबी), दमयंती बेसरा (संताली), प्रीति पुजारा (संस्कृत) और शबनम ईशई (उर्दू) ने अपनी कविताएं पढ़ीं। धन्यवाद साहित्य अकादमी की उपसचिव रेणु मोहन भान ने ज्ञापित किया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: international womens day, sahitya akadmei, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, साहित्य अकादमी
OUTLOOK 09 March, 2017
Advertisement