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21 August 2018

इस्मत चुगताई को अपनी कहानी की वजह से झेलना पड़ा मुकदमा, इस लेखिका पर बना गूगल का डूडल

उर्दू की प्रसिद्ध साहित्यकार, पद्मश्री से सम्मानित इस्मत चुगताई की आज 103वीं जयंती है और इस अवसर पर गूगल ने एक विशेष डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। इस्मत चुगताई ने अपना पूरा जीवन साहित्य के जरिए महिलाओं की आवाज उठाने में लगा दिया। उन्हें अपनी एक कहानी के कारण मुकदमे का भी सामना करना पड़ा।

चुगताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था। इस्मत उर्दू साहित्य की सबसे ज्यादा विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिकाओं के रूप में पहचानी जाती हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में महिलाओं की आवाज और उनके सवालों को अपनी कलम के माध्यम से उठाया जिसमें वे कामयाब भी रहीं।

उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबके की दबी-कुचली, लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों और उपन्यासों में बखूबी बयां किया। उनका पहला उपन्यास 'जिद्दी' साल 1941 और पहली कहानी 'गेंदा' 1949 में प्रकाशित हुआ। उनकी कहानी 'लिहाफ' के लिए इस्मत पर मुकदमा भी चल चुका है।

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इस्मत चुगताई ने कई फिल्मों की पटकथा लिखी और फिल्म जुगनू में अदाकारी भी की। उनकी पहली फिल्म छेड़-छाड़ 1943 में आई थी। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। उनकी आखिरी फिल्म मील का पत्थर साबित हुई जिसका नाम था गर्म हवा (1973), इस फिल्म ने बहुत सफलता हासिल की जिसके चलते इन्हें कई पुरस्कार भी मिले थे।

इस्मत चुगताई की मुख्य कृतियां

कहानी संग्रह : चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियाँ, एक रात, दो हाथ दोजखी, शैतान

उपन्यास: टेढ़ी लकीर, जिद्दी, एक कतरा-ए-खून, दिल की दुनिया, मासूमा, बहरूप नगर, सौदाई, जंगली कबूतर, अजीब आदमी, बाँदी

आत्मकथा: कागजी है पैरहन

 

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TAGS: Ismat Chughtai, 107th birthday, Google Doodle, salutes
OUTLOOK 21 August, 2018
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