Advertisement
14 March 2017

मैथिली भाषा का मूल ‘मुंडा’ भाषा में है- सीताकांत महापात्र

  पूर्वोत्तर की करीब आधा दर्जन भाषाओं पर विशेष काम कर रहे महापात्र ने कई आदिवासी गीतों के माध्यम से इन आदिवासी समूहों द्वारा प्रतीक रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले उदाहरणों से स्पष्ट किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतीकों में बात करना आदिवासियों के लिए इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि उनके पास शब्दों की दुनिया अभी सीमित है। वे अपनी प्रतीक भाषा को कम शब्दों में बड़ी बात कहने की क्षमता प्रदान करते हैं। उन्होंने आदिवासियों के साथ बिताए अपने लंबे समय के कई उदाहरणों से समझाया कि आदिवासी समूहों की सामाजिकता बहुत मजबूत होती है और वह सामान्यतया उनके गीत और नृत्यों के प्रदर्शन में ही सामने आती है।

   व्याख्यान के बाद उपस्थित श्रोताओं के बीच से आए प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने संकेत दिया कि आदिवासी अपनी परंपराओं के माध्यम से आज भी प्राचान भारतीय संस्कृति को कहीं न कहीं संजोए हुए हैं। बताया कि मैथिली का मूल मुंडा भाषा में है।   

   अकादेमी की अन्विता अब्बी ने बीच बीच में उनसे सवाल कर और अन्य सवालों के जवाब देते हुए व्याख्यान के सूत्रों को स्पष्ट कर लोगों की जिज्ञासाएं शांत करने में सहयोग किया।

Advertisement

   उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने व्याख्यान से पूर्व पुस्तकें भेंट कर महापात्र का स्वागत किया। अकादेमी के सचिव डा. के श्रीनिवासराव ने उनका परिचय देते हुए बताया कि बीते वर्षों में कपिला वात्स्यायन, वैंकटचलैया एवं शशि थरूर ने स्‍थापना दिवस व्याख्यान दिया है। उन्होंने अंत में आभार व्यक्त करते हुए आगे के कार्यक्रमों का ब्योरा दिया कि लगातार आदिवासी क्षेत्रीय भाषाओं पर विशेष कार्यक्रमों की योजना है। कार्यक्रम में झारखंड के डॉ. विनोद, आनंद कुमार, कामेश्वर चौधरी, रणजीत साहा कई भाषाओं के लेखक, विद्वान एवं पत्रकार भारी संख्या में उपस्थित थे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: साहित्य अकादेमी, स्थापना दिवस, व्याख्यान, महापात्र, आदिवासी, भाषा समूह, मैथिली, मुंडा
OUTLOOK 14 March, 2017
Advertisement