Advertisement
14 November 2024

सार्क कला और साहित्य महोत्सव

सार्क देशों की कला और साहित्य को एक मंच पर लाने वाला लोकप्रिय कार्यक्रम फोसवाल महोत्सव से इस बार एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर का प्रांगण 10 से 14 नवंबर तक गुलजार रहा। फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर दो साल में एक बार यह आयोजन करता है। इस महोत्सव का यह 65 वां संस्करण था। इस वर्ष की थीम थी, पर्यावरण। फाउंडेशन की चेयरपर्सन पद्मश्री अजीत कौर के जन्मदिन ने इस आयोजन को और खास बना दिया।

कार्यक्रम में बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल और भारत से शिरकत करने वाले मेहमानों के बीच साहित्य का आनंद लेने सुधि पाठक की भारी संख्या मौजूद थी।

सार्क देशों के साथ भारत के गहरे रिश्तों को रेखांकित करते हुए अजीत कौर ने कहा कि सार्क देशों की सीमाओं के मध्य हम सिर्फ नदियां, समुद्र, मानसून, सभ्यता और संस्कृति ही नहीं बांटते बल्कि हमारी पीड़ाएं और दुख भी एक जैसे हैं। इन्हें दूर करने के लिए हमें साथ आना होगा।

Advertisement

कार्यक्रम के पहले दिन, जाने-माने पर्यावरणविद संत बलबीर सिंह सैचेवाल ने पंजाब की काली बई नदी को साफ करने के पीछे मिली प्रेरणा के अनुभव साझा किए। उन्होंने नदी के ऐतिहासक और धार्मिक महत्व को बताते हुए गुरुनानक देव जी से इसके गहरे रिश्ते की कहानी भी बताई। जस्टिस विनीत कोठारी, एम एल लाहोती, अनिल सूद ने भी पर्यावरण पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे जाने माने अधिवक्ता श्री एम एल लाहोटी ने कहा, “पुर्तगाल ने अपने प्रमुख शहरों में आने वाले बाहरी पर्यटको को कम करने के उद्देश्य से उन पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। इसी तरह कई अन्य देशों ने अपने शहरों में पर्यटकों की संख्या को सीमित कर दिया है। इसका कारण यह है कि लोग प्रकृति के साथ नहीं जीते बल्कि प्रकृति में दखल देते हुए रह रहे हैं।”

भारत, नेपाल, भूटान, मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश से आए कवि, लेखक और कालकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। भारत से प्रोफेसर सुकृता पॉल कुमार, गौतम दास गुप्ता, मौली जोसेफ, ट्रिना चक्रबोर्थी, राम कृष्णा पेरुगु, भूटान से चडोर वांगमो और मालदीव से पधारे इब्राहिम वहीद ने अपनी कविताएं पढ़ीं।

फिक्शन रीडिंग के सत्र में पूनम जुत्शी ने अजीत कौर की कहानी का पाठ किया। अमरेंद्र खटुआ ने युद्ध किस तरह लोगों को तबाह कर रहा है, पर विचार व्यक्त किए। जिसमे उन्होंने युद्ध से हो रहे विनाश पर चौकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किये।

दूसरे दिन भारत और सार्क देशों से आए कवि, लेखकों और अन्य गणमान्यों मेहमानों ने कहानियां, रिपोर्ट, लेख और कविताओं का पाठ किया। वरिष्ठ कवि, आलोचक, अनुवादक आलोक भल्ला ने इजराइल प्रवास के दौरान लिखी गई कविताएं सुनाईं।

फोसवाल महोत्सव में इस बार पर्यावरण, युद्ध और अध्यात्म पर लिखी कविताओं, पेपर और फिक्शन का बोलबाला रहा। 

सरस्वती रमेश

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: ajit kour, SARCC, academy of fine arts and literature
OUTLOOK 14 November, 2024
Advertisement