कुरान का डिजिटल संस्करण हुआ तैयार, हिंदी, उर्दू समेत तेरह भाषाओ में मौजूद
नारायण बारेठ
तकनीक ने कहीं जटिलता पैदा की है तो कही वो इंसानियत के लिए सहूलियतें लेकर भी हाजिर है। इस्लाम की सबसे पवित्र पुस्तक कुरान का अब डिजिटल संस्करण तैयार हो गया है। यह अरबी, हिंदी, उर्दू , सिंधी, पंजाबी और गुजराती समेत तेरह भाषाओ में मौजूद है। अब इसके संस्कृत संस्करण की तैयारी की जा रही है।
इस डिजिटल कुरान को कोई भी सुन सकता है और दूसरी जबानो में आसान अनुवाद के जरिये समझ सकता है। कुरान का डिजिटल संस्करण तैयार कराने वाले जयपुर के सरोश खान ने बुधवार को जयपुर में मीडिया से मुखातिब हुए और इसके बारे में जानकरी दी। श्री खान कहते है, ' इससे कुरान में कही गई बातो का वास्तिवक अर्थ समझने में बड़ी मदद मिलेगी। श्री खान कहते है भारत में कुरान का यह पहला डिजिटल संस्करण है। वे कहते है 'कई बार लोग ग्रंथ की गलत व्याख्या कर देते है और इससे नाहक गलतफ़हमिया पैदा हो जाती है। अब इसके लिए यह भरोसेमंद डिजिटल संस्करण मौजूद है।
श्री खान के साथ जयपुर के चीफ काज़ी खालिद उस्मानी और राजस्थान संस्कृत विश्व विद्यालय के सहायक प्रोफेसर आचार्य शास्त्री कोसलेन्द्र दास भी मौजूद थे। श्री उस्मानी ने इस पहल की सराहना की। वे कहते है, 'आज के दौर में यह बहुत कारगर होगी। इसमें कुरान को समझने के लिए किसी की मदद की दरकार नहीं होगी। कोई अगर मदरसा नहीं जा पा रहा है तो भी इसकी मदद से कुरान को समझ सकता है। चीफ काज़ी उस्मानी कहते है, 'बहुत सी बार गलत ढंग से व्याख्या करने से दिक्क्त पैदा हो जाती है। अब इससे बचा जा सकेगा। चीफ काजी खालिद उस्मानी ने कहा कि जैसे-जैसे मुसलमान कुरान की तामील से दूर होते जा रहा है वैसे-वैसे वह दीन और दुनिया, दोनों से दूर होता जा रहा है। जो व्यक्ति कुरान को सही अर्थों में पढ़-समझ लेता है वह किसी भी सूरत में हिंसा और आतंकवाद की पैरवी नहीं कर सकता। जो व्यक्ति कुरान को अपने जीवन में उतार लेता है उसके लिए पैगंबर साहब आदर्श होते हैं न कि कोई आतंकवादी अथवा उन्मादी। उन्होंने कहा कि कुरान की सच्ची तामील तरक्की की तामील है जहां हिंसा और कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है। कुरान राष्ट्र से अलगाव की नहीं, बल्कि राष्ट्र से प्रेम की शिक्षा देती है।
आचार्य शास्त्री कहते है सभी धर्मो ग्रंथो का सार करुणा और मानवता है। वे कहते है, 'जब इसके जरिये लोग धर्म की शिक्षा का वास्तविक अर्थ समझेंगे ,समाज में सद्भाव पुख्ता होगा और धर्मो में निकटता बढ़ेगी। इस डिजिटल कुरान को तैयार कराने वाले सरोश खान कहते है जल्द ही इस संस्करण सहज सुलभ होगा। इसमें कोई भी व्यक्ति डिजिटल पेन से कुरान अरबी या दूसरी भाषाओ में सुन, समझ और पढ़ सकेगा।
सहायक आचार्य शास्त्री कोसलेंद्रदास ने कहा कि दूसरे धर्मों के लोगों में इस्लाम को लेकर कई भ्रांतियां हैं। इसकी वजह कुरान का अध्ययन नहीं करना है। बाकी धर्म ग्रंथों की तरह कुरान भी यह सिखाती है कि धर्म साधना की अपेक्षा रखता है। धर्म के साधक को राग-द्वेषरहित होना होता है। धार्मिक चित्त प्राणिमात्र की पीड़ा से द्रवित होता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल कुरान से अरबी भाषा के अलावा दूसरी भाषाओं की जानकारी रखने वाले भी इस्लाम के सही स्वरूप को समझ सकेंगे। इससे वे सब भ्रांतियां दूर होंगी जो समाज में बेवजह तनाव फैला रही हैं। विद्वान कहते है हर धर्म ग्रंथ दया ,मानवता ,परोपकार और सत्य की इबारत है। लेकिन कभी कभी लोग उस इबारत को नहीं पढ़ते और अपने ढंग से व्याख्या कर विवाद खड़ा कर देते है।