भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार विहाग वैभव को
कविता के लिए दिया जाने वाला भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार इस साल युवा कवि विहाग वैभव को उनकी कविता, ‘चाय पर शत्रु सैनिक’ के लिए दिया जाएगा। यह पुरस्कार हर साल 35 साल से कम उम्र के युवा कवि को दिया जाता है। पुरस्कार उस वर्ष की प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ कविता के लिए दिया जाता है।
भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार का यह 40वां वर्ष है। तार सप्तक के प्रसिद्ध हिंदी कवि भारत भूषण अग्रवाल की स्मृति में यह पुरस्कार उनकी स्वर्गीय पत्नी बिंदू अग्रवाल ने स्थापित किया गया था। पुरस्कार का उद्देश्य युवा लेखन को बढ़ावा देना था। इस पुरस्कार ने बड़ी संख्या में युवा हिंदी कवि दिए।
यह पुरस्कार पांच सदस्यीय जूरी द्वारा दिया जाता है जिसमें से हर साल क्रमशः एक व्यक्ति पुरस्कार के लिए चयन करता है। जूरी स्थायी है। निर्णायक मंडल में अशोक वाजपेयी, अरुण कमल, उदय प्रकाश, अनामिका और पुरुषोत्तम अग्रवाल हैं। बारी-बारी से हर वर्ष एक निर्णायक पुरस्कार के लिए कविता का चुनाव करता है। इस साल के निर्णायक अरुण कमल थे।
विहाग बनारस में शोध छात्र हैं और उनकी कविता इस साल ‘तद्भव’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। अपनी अनुशंसा में कमल ने कहा, “यह कविता वृत्तांत शैली का व्यवहार करती हुई दो पात्रों के निजी सुख-संताप की मार्फत युद्धोन्माद, घृणा और अनर्गल हिंसा की भर्त्सना करती है तथा मनुष्य होने और बने रहने की पवित्र आकांक्षा को रेखांकित करती है।”
विहाग को यह पुरस्कार रज़ा फाउंडेशन द्वारा आयोजित वार्षिक समारोह ‘युवा-2019’ के अवसर पर 11 अक्टूबर 2019 को प्रदान किया जाएगा।
पुरस्कृत कविता
चाय पर शत्रु - सैनिक
उस शाम हमारे बीच किसी युद्ध का रिश्ता नही था
मैनें उसे पुकार दिया -
आओ भीतर चले आओ बेधड़क
अपनी बंदूक और असलहे वहीं बाहर रख दो
आस-पड़ोस के बच्चे खेलेंगें उससे
यह बंदूकों के भविष्य के लिए अच्छा होगा
वह एक बहादुर सैनिक की तरह
मेरे सामने की कुर्सी पर आ बैठा
और मेरे आग्रह पर होंठों को चाय का स्वाद भेंट किया
मैंनें कहा,
कहो कहां से शुरुआत करें?
उसने एक गहरी सांस ली, जैसे वह बेहद थका हुआ हो
और बोला, उसके बारे में कुछ बताओ
मैंनें उसके चेहरे पर एक भय लटका हुआ पाया
पर नजरअंदाज किया और बोला,
उसका नाम समसारा है
उसकी बातें मजबूत इरादों से भरी होती हैं
उसकी आंखों में महान करुणा का अथाह जल छलकता रहता है
जब भी मैं उसे देखता हूं
मुझे अपने पेशे से घृणा होने लगती है
वह जिंदगी के हर लम्हें में इतनी मुलायम होती है कि
जब भी धूप भरे छत पर वह निकल जाती है नंगे पांव
तो सूरज को गुदगुदी होने लगती है
धूप खिलखिलाने लगती है
वह दुनिया की सबसे खूबसूरत पत्नियों में से एक है
मैंनें उससे पलट पूछा
और तुम्हारी अपनी के बारे में कुछ बताओ...
वह अचकचा सा गया और उदास भी हुआ
उसने कुछ शब्दों को जोड़ने की कोशिश की
मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता
वह बेहद बेहूदा औरत है और बदचलन भी
जीवन का दूसरा युद्ध जीतकर जब मैं घर लौटा था
तब मैंने पाया कि मैं उसे हार गया हूं
वह किसी अनजाने मर्द की बाहों में थी
यह दृश्य देखकर मेरे जंग के घाव में अचानक दर्द उठने लगा
मैं हारा हुआ और हताश महसूस करने लगा
मेरी आत्मा किसी अदृश्य आग में झुलसने लगी
युद्ध अचानक मुझे अच्छा लगने लगा था
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और और बोला
नहीं मेरे दुश्मन, ऐसे तो ठीक नहीं है
ऐसे तो वह बदचलन नहीं हो जाती
जैसे तुम्हारे सैनिक होने के लिए युद्ध जरूरी है
वैसे ही उसके स्त्री होने के लिए वह अनजाना लड़का
उसने मेरे तर्क के आगे समर्पण कर दिया
और किसी भारी दुख से सिर झुका लिया
मैंनें विषय बदल दिया ताकि उसके सीने में
जो एक जहरीली गोली अभी घुसी है
उसका कोई काट मिले
मैं तो विकल्पहीनता की राह चलते यहां पहुंचा
पर तुम सैनिक कैसे बने?
क्या तुम बचपन से देशभक्त थे?
वह इस मुलाकात में पहली बार हंसा
मेरे इस देशभक्त वाले प्रश्न पर
और स्मृतियों को टटोलते हुए बोला
मैं एक रोज भूख से बेहाल अपने शहर में भटक रहा था
तभी उधर से कुछ सिपाही गुजरे
उन्होंने मुझे कुछ अच्छे खाने और पहनने का लालच दिया
और अपने साथ उठा ले गए
उन्होंने मुझे हत्या करने का प्रशिक्षण दिया
हत्यारा बनाया
हमला करने का प्रशिक्षण दिया
आततायी बनाया
उन्होनें बताया कि कैसे मैं तुम्हारे जैसे दुश्मनों का सिर
उनके धड़ से उतार लूं
पर मेरा मन दया और करुणा से न भरने पाए
उन्होंने मेरे चेहरे पर खून पोत दिया
कहा कि यही तुम्हारी आत्मा का रंग है
मेरे कानों में हृदयविदारक चीख भर दी
कहा कि यही तुम्हारे कर्तव्यों की आवाज है
मेरी पुतलियों पर टांग दिया लाशों से पटा युद्ध-भूमि
और कहा कि यही तुम्हारी आंखों का आदर्श दृश्य है
उन्होंने मुझे क्रूर होने में ही मेरे अस्तित्व की जानकारी दी
यह सब कहते हुए वह लगभग रो रहा था
आवाज में संयम लाते हुए उसने मुझसे पूछा
और तुम किसके लिए लड़ते हो?
मैं इस प्रश्न के लिए तैयार नहीं था
पर खुद को स्थिर और मजबूत करते हुए कहा
हम दोनों अपने राजा की हवश के लिए लड़ते हैं
हम लड़ते हैं क्यों कि हमें लड़ना ही सिखाया गया है
हम लड़ते हैं कि लड़ना हमारा रोजगार है
उसने हल्की मुस्कान के साथ मेरी बात को पूरा किया
दुनिया का हर सैनिक इसी लिए लड़ता है मेरे भाई
वह चाय के लिए शुक्रिया कहते हुए उठा
और दरवाजे का रुख किया
उसे अपने बंदूक का खयाल न रहा
या शायद वह जानबूझकर वहां छोड़ गया
बच्चों के खिलौनों के लिए
बंदूकों के भविष्य के लिए
उसने आखिरी बार मुड़कर देखा तब मैंने कहा
मैं तुम्हें कल युद्ध में मार दूंगा
वह मुस्कुराया और जवाब दिया
यही तो हमें सिखाया गया है ।