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20 January 2023

साहित्यकारों की पत्नियां: साहित्यकारों की पत्नियों पर देश में पहली किताब

हिंदी भाषा , साहित्य और पत्रकारिता के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाले साहित्यकारों की पत्नियों पर देश में पहली बार एक किताब प्रकाशित की गई है। हिंदी के वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार विमल कुमार द्वारा संपादित इस पुस्तक का लोकार्पण कल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सुप्रीम कोर्ट की अवकाश प्राप्त न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा करेंगी जिनकी हिंदी साहित्य में गहरी दिलचस्पी रही है। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कवि एवं संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ,जाने-माने  कवि पत्रकार और कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल भी मौजूद रहेंगे। इस पुस्तक का प्रकाशन स्त्री दर्पण मंच की ओर से मेधा बुक्स ने किया है।

240 पृष्ठों की इस किताब में 47 लेखकों की पत्नियों के बारे में पहली बार लेख  दिए गए हैं जिनमें तुलसीदास, रवींद्रनाथ टैगोर,रामचंद्र शुक्ल,मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला शिवपूजन सहाय, विशंभर नाथ शर्मा कौशिक, रामवृक्ष बेनीपुरी राधिका  गणेश शंकर विद्यार्थी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, गोपाल सिंह नेपाली, जैनेंद्र कुमार, मुक्तिबोध, रामविलास शर्मा अमरकांत विजयदेव नारायण साही से लेकर को नामवर सिंह और कुंवर नारायण की पत्नियों के बारे में जानकारी दी गई है और उनके चित्र भी प्रकाशित किए गए हैं।

स्त्री दर्पण मंच द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार  यह पहला मौका है जब अपने देश में किसी भाषा के लेखकों की पत्नियों के बारे मे कोई किताब लिखी गयी है।गत 21 जनवरी को स्त्री दर्पण फेसबुक ग्रुप के पेज पर यह  श्रृंखला शुरू की गई और एक  वर्ष के भीतर ही 51  लेखकों  की पत्नियों के बारे में लेख पोस्ट किए गए ।इनमें शेक्सपीयर टॉलस्टॉय  चेखव और हेमिंग्वे  जैसे विश्वप्रसिद्ध लेखकीं की पत्नियां भी शामिलहैं।यह शृंखला  इतनी लोकप्रिय हुई कि अब तक लाखों लोगों ने इसे फेसबुक पर देखा है ।

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स्त्री दर्पण ग्रुप दुनिया के 54 देशों और भारत के 100 शहरों में देखा जा रहा है और इसके 11000 से अधिक सदस्य हैं।

कुमार का कहना है कि इस किताब में उन पत्नियों की संघर्षभरी कहानियां हैं, जो हाउसवाइफ रहीं  और अपने लेखक पतियों  के निर्माण में  बड़ी भूमिका निभाई लेकिन समाज उनका नाम भी नहीं जानता। इन पत्नियों  ने अपने पतियों की किताबों की पांडुलिपि तैयार करने से लेकर उन्हें छपाने तक का भी काम किया और उनके लिए हर तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई ताकि उनके पति साहित्य की रचना  कर सकें। कुमार ने बताया कि कई लेखको की पत्नियों  के बारे में कुछभी  जानकारी नहीं मिलती औरकई के  तो नाम भी नहीं पता औरउनकी तसवीरें  भी उपलब्ध नहीं है।

62 वर्षीय कुमार की 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और एक  संवाद समिति से अवकाश ग्रहण करने के बादइन दिनों"  स्त्री- लेखा" पत्रिका के सम्पादक हैं।

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TAGS: Wives of litterateurs, first book, wives of litterateurs, Outlook Hindi
OUTLOOK 20 January, 2023
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