रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती पर योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी
वीर रस के प्रखर कवि, साहित्यकार, शिक्षाविद और राज्यसभा के पूर्व सदस्य पद्म भूषण से सम्मानित रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर ‘दिनकर’ की कविता की पंक्तियां ‘‘वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है, थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है’’ को पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘महान साहित्यकार, संस्कृति के सजग प्रहरी और राष्ट्र की आत्मा के प्रखर उद्घोषक, ‘पद्म भूषण’ ‘राष्ट्रकवि’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!’’
योगी ने इसी पोस्ट में लिखा, ‘‘उनकी कालजयी रचनाओं में क्रांति का स्वर, किसान की पीड़ा और रणभूमि का शौर्य गूंजता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘दिनकर’ जी की अमर रचनाएं हर पीढ़ी को देशभक्ति, साहस और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेंगी।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में दिनकर की कविता ‘‘कर्म भूमि पर चलो निरंतर, थमना यहां निषेध है, जीवन की हर राह कठिन है, संघर्षों का ही गेह है’’ से पंक्तियां पोस्ट कर अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भारत की आत्मा को शब्द देने वाले राष्ट्रकवि, पद्मभूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन!’’
मौर्य ने कहा, ‘‘उनकी ओजस्वी वाणी और प्रखर राष्ट्रभक्ति की लेखनी आज भी पीढ़ियों को कर्तव्य, साहस और देशप्रेम की प्रेरणा देती है।’’
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत की आत्मा को शब्द देने वाले राष्ट्रकवि, पद्मभूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।’’
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार राज्य में 23 सितंबर 1908 को हुआ था और वर्ष 1974 में तिरुपति यात्रा में उनका निधन हो गया। ‘संस्कृति के चार अध्याय’, ‘रश्मिरथी’, ‘उर्वशी’ और ‘कुरुक्षेत्र’ जैसी कालजयी रचनाओं के प्रणेता दिनकर ने राज्यसभा के सदस्य, शिक्षक, विश्वविद्यालय के कुलपति समेत कई क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दीं। उन्हें पद्म भूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।