Advertisement
26 October 2023

रागदारी की चमत्कारी प्रस्तुति

हाल में मशहूर गायिका पद्मजा चक्रवर्ती की संस्था वेणु हेरिटेज का संगीत-नृत्य आयोजन लोककला मंच के सभागार में हुआ। वरिष्ठ और युवा कलाकारों का एक ही मंच पर प्रस्तुति काफी रोमांचक थी। कार्यक्रम की शुरुआत पद्माजी की शिष्या सुश्री आकांक्षा के गायन से हुई। 

राग पूरिया धनाश्रि को विलंबित और द्रुत लय में ख्याल की बंदिशों को शुद्ध रागदारी पर गाने में सरगम, बहलावा गमक, तानों आदि की निकास को देखकर लगा कि उसने गुरु से पुख्ता तालीम पाई है। गाने में सुर का लगाव तीनों सप्तकों में स्वरों का संचार भी सही लीक पर था।

अगली प्रस्तुति ताल दादरा में निबद्ध रचना ‘तुम बिन नींद न आए’ की प्रस्तुति भी सरस थी। गायन के साथ तबला पर उदयशंकर मिश्र और हारमोनियम पर दामोदर लाल घोष ने प्रभावी संगत की। मुंबई की श्रेष्ठा त्रिपाठी जयपुर घराने की कुशल युवा कथक नृत्यांगना हैं। उन्होंने भक्ति भाव में गणेश के रूपों के रोमांचकता से नृत्य के जरिए दर्शाया। 

Advertisement

पंचम सवारी जैसे कठिन ताल पर नृत्य को सही चलन में प्रस्तुत किया। जयपुर कथक नृत्य शैली के आधार पर अमूर्त नृत्य के प्रकार आमद, तोड़े, टुकड़े, परणें, लड़ी आदि को खूबसूरती से पेश किया। उनका भ्रमरी नाच भी सुंदर था। ठुमरी ‘काहे को मोरी बइयां गहो रे ऐ नटखट नंदलाल’ गायन पर नर्तकी के शृंगारिक भावों की अभिव्यक्ति में सरसता लाने की जरूरत लगी। 

इस समारोह का समापन इंदौर की प्रखर गायिका शोभा चैधरी के गायन से हुआ। उन्होंने गाने की शुरुआत राग बागेश्री के शुद्ध चलन में सुंदरता से किया। यह राग झिंझोटी सिंदूरा और खमाज रागों का मिश्रण है इसीलिए इसका ठाट तय नहीं हो पाया है। बहरहाल, संपूर्ण स्वरों का यह एक बड़ा राग है। इस राग का अधिकतर संचार मंद्र और मध्य सप्तक में होता है। उसी आधार पर राग को प्रस्तुत करने और उसके रूप को निखारने की का प्रयास किया। 

मध्यलय तीनताल पर गायन प्रभावी था। राग अलंकरण में सरगम ताने, गमक, बहलावा, मींड़ के स्वरों की निकास, लयकारी आदि भी आकर्षक थी। विलंबित एकताल में बंदिश- ‘सखि मन लागे न मोरा’ और दु्रत तीनताल पर रचना ‘गूंद लाओ री मलिनिया’ और संगीतज्ञ रामाश्रय झा की बंदिश ‘जा रे तू बदरा दूर’ और दादरा ‘छाई घटा घनघोर पपीहा मचावे शोर’ की प्रस्तुति भी मधुर और प्रभावशाली थी। गाने के साथ तबला पर आशीष सेनगुप्ता और हारमोनियम पर दामोदर लाल घोष ने मुकाबले की संगत की।

संगीत की प्रतिष्ठित संस्था सम द्वारा इंडिया हेबिटेट सेंटर के अमलतास सभागार में आयेाजीत संगीत कार्यक्रम में होनहार गायक उज्ज्वल मिश्र और सुप्रतिष्ठित गायिका मालिविका भट्टाचार्य का गायन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ बनारस घराने के युवा गायक उज्ज्वल ने राग बागेश्री की प्रस्तुति से किया। राग को चैनदारी और शुद्धता से पेश करने में रागदारी के जो चलन वे दिखा रहे थे, उसमें उनकी पुख्ता तालीम दिखाई दी। 

विलंबित में धीरे-धीरे स्वर विस्तार से राग के स्वरूप को निखारने में उनका अच्छा कौशल नजर आया, विलंबित एकताल और दु्रत तीनताल को बंदिशों को पेश करने में सरगम, खटका गमक, बहलावा तानों की निकास में वे पूरी तरह से परिपक्व दिखे। तराना गायन भी मोहक था।

हैदराबाद की मालविका भट्टाचार्य ने राग पूरिया कल्याण में विलंबित की बदिंश ‘प्रभु के चरण कमल निसदिन सुमिर रे’ को विलंबित झपताल पर शुद्ध रागदारी से पेश करने में स्वरों का लगाव, विविध चलनों में राग के बरतना, तीनों सप्तकों में स्वरों का संचार पूरी तरह से लयबद्ध था। 

तीनताल पर छोटा ख्याल की बंदिश ‘मोरे घर आजा सुरजन सैंया’ के भावपूर्ण गायन में विविध प्रकार की लय में सरगम, आकार के बोल, ताने, मींड से लेकर लयात्मक गति में राग को बरतने में उनका खूबसूरत अंदाज था। राग दुर्गा में रचना ‘देवी दुर्गे दयानि ब्रहमानंद’ भजन में भक्ति भाव उजागर होता दिखा।

(लेखक वरिष्ठ संगीत समीक्षक हैं)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Music, instrumental, traditional culture, ragdari, indian tradition
OUTLOOK 26 October, 2023
Advertisement