एक शाम पिता के नाम
हिंदी साहित्य जगत के वरिष्ठ कवि, प्रसिद्ध साहित्यकार तथा चिंतक डॉ कैलाश वाजपेयी के जीवन और कार्य को सभी के साथ साझा करने के उद्देश्य से उनकी बेटी अनन्या ने मां रूपा वाजपेयी और अपने पति बशारत पीर के साथ मिलकर, पिता कैलाश के दोस्तों और चाहने वालों को के साथ कविता, संगीत और संस्मरण की एक शाम सजाई।
विद्या शाह की खूबसूरत आवाज में कबीर और कैलाश की मध्यकालीन और आधुनिक कविताओं और गीतों के साथ पाठ हुआ। ओम थानवी ने भी कैलाश वाजपेयी की कविताओं को पढ़ा। अनन्या का पिता की कविताओं का पढ़ना शाम का सबसे खूबसूरत अनुभव रहा, उन्होंने कुल बारह कविताओं का पाठ नादिम शाह के साथ मिल कर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत कपिला वात्स्यायन ने अपनी और कैलाश की 55 वर्षों पुरानी दोस्ती से जुड़ी यादों से की। अशोक वाजपेयी ने भी कैलाश वाजपेयी को याद किया। कुंवर नारायण अपनी यादों को साझा किया और कई किस्से श्रोताओं को सुनने को मिले।
कला और साहित्य से जुड़े तमाम कलाकार, लेखक, प्रकाशक, छायाकार मौजूद थे, इस शाम में कई लेखक, प्रकाशक, और साहित्य सुधि शामिल हुए। अरुण माहेश्वरी, अलेक्स ट्रावेली, आयुष सोनी, आशा कोहली, आशीष नंदी, इंदिरा मेनन, गंगा प्रसाद विमल, चित्रा पद्मनाभन, पार्थिव शाह, प्रवीण धोंती, बलराम अग्रवाल, मंगलेश डबराल, मधु खन्ना, माया जोशी, मृदुला गर्ग, रघु कर्नाड, रवीन्द्र जैन, राम रहमान, रेणु शाहनवाज़ हुसैन, लीलाधर मंडलोई, विनोद भारद्वाज, शीला झुनझुनवाला, सुरेश ऋतुपर्ण, सुषमा भटनागर, स्निग्धा पूनम ने इस आयोजन के लिए वक्त निकाला और कैलाश वाजपेयी की कविताओं का आनंद लिया।