बेगम अख्तर की याद में ठुमरी
गजल और ठुमरी के कद्रदान अभी भी हैं, इसकी तस्दीक संगीत नाटक अकादमी के कार्यक्रम को देख कर हो गया। अकादमी के कार्यक्रम वैसे भी काफी सहज और प्रभावशाली होते हैं। बेगम अख्तर को श्रद्धांजलि देने के लिए गजल और ठुमरी का कार्यक्रम हुआ।
इस मौके पर कमानी ऑडिटोरियम में मालिनी अवस्थी का कार्यक्रम हुआ। अपने अंदाज, में उन्होंने ठुमरी गाना शुरू की तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो कर सुनते रहे। एक के बाद एक गीत, गजल, ठुमरी सुना कर उन्होंने सभी का मन मोह लिया।
राग मिश्र तिलककामोद में ठुमरी ‘महाराजा किवड़ियां खोलो, रस की बूंद पड़ी’ से शुरू करने के बाद दादरा ‘जमुनिया की डार मैं तोड़ लाई राजा’, बेगम अख्तर की गाई, सुदर्शन फाकिर की गजल ‘कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया और कुछ तल्खी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया’ ने माहौल जमाए रखा। अंत में उन्होंने अपना चर्चित लोकगीत ‘हमरी अटरिया पे आवो सावरिया’ गाया।
तबले पर अकरम खान, सारंगी पर मुराद अली खान और हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्र के लिए भी खूब तालियां बजीं। कार्यक्रम में संगीत नाटक अकादमी के चेयरमेन शेखर सेन, संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव पंकज राग, प्रसिद्ध गायिका छाया गांगुली, शांति हीरानंद, घनश्याम वासवानी आदि मौजूद थे।