उर्दू में रची हनुमान चालीसा
जिस तरह चौपाई में चार पंक्तियां होती हैं, उसी तरह मुसद्दस में छह पंक्तियों में पगे तीन शेर होते हैं। हनुमान चालीसा का उर्दू रूपांतरण कुल 15 बंद में लिखा गया है। गौरतलब है कि मशहूर शायर अनवर जलालपुरी भगवान श्रीकृष्ण की वाणी श्रीमद्भगवद्गीता को उर्दू शायरी में ढालने की अनूठी कोशिश पहले ही कर चुके हैं।
एमए के छात्र आबिद ने कहा कि वह हनुमान चालीसा के अलावा शिव चालीसा तथा ऐसी ही अन्य प्रार्थनाओं को उर्दू शायरी में ढालने की ख्वाहिश रखते हैं। ऐसा करने का मकसद यह है कि मुस्लिम समाज के लोग अपने हिंदू भाइयों के आराध्यों के बारे में बेहतर तरीके से जान सकें। इससे हमारा भाईचारा और मजबूत होगा तथा देश खुशहाली की तरफ बढ़ेगा। हिंदी के छात्र रहे अल्वी ने कहा कि एक बार वाराणसी में कुछ सैलानियों ने उनसे हनुमान चालीसा पढ़ने को कहा था। उसी दौरान उनके मन में इसे उर्दू में लिखने का विचार आया था। इस प्रार्थना का उ्दू में भावांतरण करने के लिए उन्हें तीन महीने तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
यह पूछे जाने पर कि हनुमान चालीसा को उर्दू में लिखने पर उन्हें समाज के किसी तबके का विरोध तो नहीं झेलना पड़ा, अल्वी ने कहा, ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। हमारे कुरान शरीफ का सार ही सर्वधर्म समभाव है। मेरे माता-पिता ने मुझे कुरान शरीफ पढ़ने के दौरान उसका अनुवाद भी पढ़कर सुनाया है। उसे सुनकर मैं कहता हूं कि कुरान शरीफ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं सिखाता। अल्वी ने कहा कि वह उर्दू की अनेक कीमती किताबों को हिंदी में तथा हिंदी की बेहतरीन किताबों को उर्दू में अनूदित करना चाहते हैं, ताकि लोग ज्ञान के अमूल्य भंडार का फायदा उठा सकें। उन्होंने कहा कि उन्हें हनुमान चालीसा का भावांतरण करने में अपने परिवार तथा दोस्तों का खासा सहयोग मिला। मालूम हो कि मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने पिछले साल श्रीमद्भगवद्गीता के 700 श्लोकों को 1700 अशआर में ढाला था।