ईश्वर का दुख
मौन नहीं है वह
न ही तूती नक्कार खाने की
मंदिर के घंटों की गूंज के बीच
अंतर्नाद बन गई है, उसकी वाणी
इसे पुजारी ही ईश्वर तक पहुंचाएगा
चढ़ी मिठाइयों से कुछ मीठापन
उसके लिए भी लाएगा
तब संप्रेषणता का इतिहास लिखा जाएगा
अर्पित वाणी मात्र लगे प्रलाप
उसे नहीं हो यह संताप
इसलिए बताया जाएगा
मंदिर के बाहर आदमी की गंदी, लीचड़, बदबूदार, भीख मांगती कृशकाया पर
मिठाईयों, फूलों और पुजारियों से दबे होने की व्यस्तता के बावजूद
ईश्वर को बहुत दुख है
2. कक्षा में, कोने वाला लड़का
उलझन में अकेला है वह
ताने क्यों हैं उसके साथ
गलत क्या किया है उसने
क्यों है उसे लेकर विभ्रम
उसे दिमाग में संग्रहित कारण पता नहीं हैं
चिल्लाती आवाज, खोखली ही है
बड़े शब्दों का जादू है विद्यालय
वे उसे और विभ्रम में ढ़केल देते
कारण का पता न होना
कटाक्ष की टिप्पणियां
असहजता बढ़ा देते
कैदी तो नहीं हूं न मैं ,
छुट्टी पर घर जाना है
भय के साथ
जब आया था
एक गर्मी सी थी
अब सब ओर
ठंड बस गई है
खेलना भी
खोल में सिमट गया है
दस्तकारी पर
हथौड़ा पड़ गया है
बयार नहीं है
आंधी तीव्र हो गई है
चढ़ने को पेड़ नहीं है
चीथड़ों को पहचान
बना दिया गया है
बच्चा कभी भी
मरने लायक नहीं होता
उसे मारा जाना
कभी भी वांछित नहीं है