Advertisement
06 October 2015

अनुपस्थित है किसान

गूगल

बरस रही है धूप

सावन में

जेठ की।

Advertisement

जल रहे हैं

खेत

इतरा रहे बादल

आकाश में।

सूखी हैं नदियां

सूखी हैं नहरें

गांव में होरी की

आंखों से

हो रही बरसात।

गांवों को डस रहा

सन्नाटा।

दफ्तरों में आ गई है

खुशियों की बाढ़

कविता में

संवेदना का 

है सुखाड़।

अखबारों में खबरों की भीड़

केवल अनुपस्थित है

किसान। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: lakhan lal singh aarohi, bhagalpur university, reader, लखन लाल सिंह ‘आरोही’, भागलपुर विश्वविद्यालय, रीडर
OUTLOOK 06 October, 2015
Advertisement