तमिल कवि इंकलाब के परिवार ने साहित्य अकादमी अवार्ड लेने से किया इनकार
मशहूर तमिल कवि इंकलाब के परिवार ने साहित्य अकादमी अवार्ड लेने से मना कर दिया है। उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत देने की घोषणा गुरुवार को की गई थी। उनकी फैमिली का कहना है कि इंकलाब एक ऐसी सरकार से कभी कोई सम्मान नहीं लेते, जो सांप्रदायिक और जातिवादी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है। बता दें कि पिछले साल 72 साल की उम्र में इंकलाब की मृत्यु हो गई थी।
द हिंदू अखबार के मुताबिक, वह मार्क्सवादी-लेनिनवादी थे और खुद के तमिल होने पर गर्व करते थे। वह कथित तौर पर वानमपड़ी नामक कविता आंदोलन से भी जुड़े थे। वह चेन्नई के न्यू कॉलेज में तमिल प्रोफेसर के तौर पर भी काम कर चुके थे। इंकलाब के साथ काम कर चुकी और उनके नाटकों का निर्देशन करने वालीं थिएटर कलाकार मनगई का कहना है कि जब वह जीवित थे, तब यह सम्मान उन्हें दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि तब वह इसे स्वीकार करते या लौटा देते, यह अलग बात होती। लेकिन हम जानते हैं कि कई बार अवार्ड के लिए उनके नाम पर विचार किया गया। लेकिन उनका नाम सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया गया कि वह लोगों के साथ खड़े रहते थे और अपनी रचनाओं में उनकी आवाज उठाते थे।
इंकलाब ट्रस्ट संभालने वाली उनकी बेटी अमीना का कहना है कि मेरे पिता कहा करते थे कि अपनी रचनाओं के लिए अवार्ड पाने की चाहत उन्होंने कभी नहीं की। इसकी जगह उन्हें आलोचना और आरोप ही झेलने पड़े।