Advertisement
04 May 2023

पुस्तक समीक्षा: परीखाने की सेनानी

इन दिनों ऐतिहासिक उपन्यासों का दौर है। ऐसे में अवध के नवाब वाज़िद अली शाह की छोटी बेग़म के रूप में मशहूर बेगम हज़रत महल के बारे में पढ़ना सुखद लगता है, जिन्होंने सन 1857 में अंग्रेज़ों से जमकर लोहा लिया था।

लेखिका ने उपलब्ध इतिहास से लेखकीय छूट ली। लेकिन उनकी पूरी कोशिश रही कि इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं को वैसा ही रखें। उन्होंने बेगम हजरत महल के पूरे जीवन को उपन्यास में समेटा है। वे स्वाभिमानी, साहसी और प्रेमिल थीं। जिनकी वीर गाथा उनके व्यक्तित्व और संघर्षों की संपूर्णता है।

साधारण परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी लेकिन बचपन से ही जुझारू और साहसिक व्यक्तित्व की स्वामिनी बालिका ‘मोहम्मदी’ को गहने-कपड़े नहीं बल्कि तलवारबाज़ी का शौक़ है। यही बालिका परिस्थितिवश नवाब वाज़िद अली शाह के ‘परीखाने’ पहुंच जाती है और उसे नाम मिलता है, महक परी। महक की सादगी, सच्चाई और साहस उन्हें महल की अन्य परियों से अलग खड़ा करते हैं। यही महक एक दिन अपनी वीरता और विलक्षणता के दम पर नवाब का दिल जीतकर उनकी मलिका बेग़म हज़रत महल बन जाती है।

Advertisement

शुरुआती महिला क्रांतिकारियों में से एक बेग़म हज़रत महल की हैरतंगेज दास्तान रोचक भाषा शैली और प्रवाहमय शिल्प में रची गई है। 1857 की क्रांति के समय के अवध के सांस्कृतिक, राजनीतिक जीवन पर गहन शोध के बाद लिखे गए इस श्रमसाध्य उपन्यास में नवाब वाज़िद अली शाह और बेग़म हज़रत महल की लोक प्रचलित छवियों को लेकर भी कई मिथक टूटने का अहसास होता है। विशेषकर वाज़िद अली शाह जो रंगीले नाम से ख्यात थे। यक़ीनन यह किताब स्थायी मुकाम बनाने के सारे कारण प्रस्तुत करती है।

बेग़म हज़रत महल

वीणा वत्सल सिंह

राजपाल एंड सन्स

मूल्य: 325 रु. | पृष्ठ:190

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Book review begam hajrat Mahal, book review by Anju Sharma, book review begam hajrat Mahal by Anju Sharma, book begam hajrat Mahal by Veena Vatsal Singh, Hindi language, Hindi literature, Hindi books, Indian literature, Indian books
OUTLOOK 04 May, 2023
Advertisement