22 November 2019
राजनीति की गर्द और गांव के दर्द का आईना
‘समाज’ और ‘राजनीति’ शीर्षक से दो खंडों के संग्रह की भूमिका में संजय सिंह खुद कहते हैं, ‘लंबे समय से नगर और महानगर में रह जरूर रहा हूं, लेकिन गांव-गिरांव, खेत-खलिहान और बाग-बगीचे अभी भी मेरे जेहन में मौजूद हैं। ‘गड़बड़झाला’ में उनकी गंध महसूस की जा सकती है। इसलिए मेरे कॉलम की विषयवस्तु यहां (दिल्ली में) सत्ता प्रतिष्ठान बने।’ इसमें राजनेता मुलायम सिंह की ‘भुलनी बीमारी’ (अल्जाइमर) और लालू-पासवान की नोक-झोंक वगैरह का जिक्र बड़ी फिक्र और दिलचस्प तरीके से किया गया है। बाकी किताब के सफों में दर्ज लफ्ज और उनको ललकारते कार्टून खुद बताएंगे कि उनमें रोचक/रोमांचक क्या है? इसके लिए जनतंत्र की माया पढ़ना होगा। अलबत्ता, प्रूफ की गलतियों की बाधा पार कर ही भाषा की रोचकता का आनंद उठा सकेंगे!