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09 August 2022

पुस्तक समीक्षा : बहुत दूर कितना दूर होता है

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"बहुत दूर कितना दूर होता है" अभिनेता और लेखक मानव कौल की किताब है। किताब हिन्द युग्म प्रकाशन से छपी है।"बहुत दूर कितना दूर होता है" एक यात्रा वृत्तांत है। मई - जून 2019 में मानव कौल ने यूरोप के शहरों की यात्रा की। मानव कौल लंदन, फ्रांस जैसी जगहों पर भी गए। इन जगहों पर मानव कौल जिन जगहों पर ठहरे, जिन लोगों से मिले, जिन अनुभवों से दो चार हुए, उस विषय में मानव कौल ने लिखा है। जगहों के बारे में लिखते वक़्त मानव कौल का मुख्य ध्यान शहरों के ऐतिहासिक, कलात्मक, रचनात्मक पक्ष पर रहा है। उन्होंने बताया है कि कौन से शहर में कैसी पेंटिंग्स, पेंटर लोकप्रिय हुए थे। उनकी सामाजिक स्थिति, उनका प्रभाव कैसा था। 

 

किताब में मानव कौल स्वयं के लेखन के बारे में भी चर्चा करते हुए पाए जाते हैं। जिस तरह वह कहानी को लेकर उत्साहित दिखते हैं, उसकी रचना प्रक्रिया का विवरण देते हैं, वह दर्शाता है कि उनके जीवन में लेखन का क्या महत्व है। एक अच्छी किताब वह है जो आपको साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करे ही, साथ ही लिखने की प्यास भी पैदा कर दे। मानव कौल की किताब पढ़कर यह दोनों काम होते हैं। 

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मानव कौल ने यात्रा वृत्तांत में अपने निजी जीवन से जुड़े कई प्रश्नों के जवाब दिए हैं। उन्होंने शादी क्यों नहीं की, वह नास्तिक क्यों हैं, मानव वह अकेले यात्रा क्यों करते हैं, उन्होंने क्यों फ़िल्में, नाटक अनियमितता के साथ किए, इस किताब में मानव कौल ने बहुत स्पष्ट रूप से इन सभी सवालों का जवाब दिया है। मानव कौल ने यात्रा वृत्तांत लिखते हुए ऐसी कई घटनाएं लिखी हैं, जो बहुत रोचक हैं। मसलन जिस तरह मानव कौल लड़कियों से मिलते हैं और जो उनका पहला रिएक्शन रहता है, वह बड़ा मज़ेदार है। उसे पढ़कर महसूस होता है कि मानव कौल तो बिलकुल आम इंसान की तरह हैं। 

 

 

 

मानव कौल की कहानियों को लेकर अक्सर एक बड़े पाठक वर्ग की शिकायत रहती है कि इसमें कोई सिरा, छोर नहीं होता। इसमें शुरुआत, मध्य, अंत का कोई स्पष्ट विभाजन नहीं दिखता, जो हिन्दी - उर्दू कहानी परंपरा की पहचान रहा है। मानव कौल की कहानियों में बिम्ब अधिक रहते हैं। लेकिन इस किताब की पहली लाइन से अंतिम लाइन तक हर लाइन सुंदर है, सरल है। आजकल की साहित्यिक किताबों में जितना ज्ञान, जितनी परिपक्वता नहीं दिखती, उतनी मानव कौल की लिखी एक पंक्ति में महसूस होती है। मन खिल उठता है पढ़कर। 

 

कमी की बात करें तो कहीं कहीं पर मानव कौल अपनी कहानी लेखन की बेचैनी को दोहराते दिखते हैं। बार बार कैफे, कॉफ़ी, लैपटॉप, का विवरण आता जाता है। इसकी जगह अगर शहरों, लोगों, कलाओं का विवरण अधिक होता, यात्रा अनुभवों की बात अधिक होती तो और बेहतर रहता। उम्मीद है कि अगले यात्रा वृत्तांत में मानव कौल ज़रूर बहुत बेहतर लिखेंगे। 

पुस्तक - बहुत दूर कितना दूर होता है 

लेखक - मानव कौल 

प्रकाशन - हिंद युग्म प्रकाशन 

मूल्य - 200 रुपए

पृष्ठ - 160 

 

 

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TAGS: Book review, bahut door kitna door hota hai, Manav kaul, actor Manav kaul writing, travel writing, literature
OUTLOOK 09 August, 2022
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