पुस्तक समीक्षा : बहेलिए
बहेलिए कहानियों की किताब है। इसे लेखिका अंकिता जैन ने लिखा है। किताब में महिलाओं के इर्द गिर्द बुनी गई कहानियां हैं। किताब की विशेषता है इसकी सच्चाई। हर कहानी पढ़कर लगता है कि यह हमारे समाज की कहानी है। कैसे स्त्री का प्रेम राजनीति, धर्म की भेंट चढ़ जाता है, कैसे पुरुष ज़िम्मेदारी से भागकर, स्त्री को दोराहे पर छोड़ देता है, कैसे पिता और पुत्री के रिश्ते में द्वंद्व उभरता है, इसका विवरण किताब में हर्फ दर हर्फ दर्ज कर किया गया है।
कहानियों की भाषा सरल है। हर इंसान इसे पढ़कर समझ सकता है। गूढ़ ज्ञान नहीं दिया गया है किताब में। भाषा और शिल्प के चक्कर में कथानक को गोल मोल नहीं रचा है। कहानियों में विविधता है। गांव, कस्बा, शहर, महानगर सभी की कहानियां हैं। सबके अपने संघर्ष हैं। इन्हें बख़ूबी दर्ज किया गया है।
लेखिका की कहानियों में रिसर्च दिखती है। उनमें झूठ नहीं बोला गया है। कहानियां पढ़ते हुए लगता है कि जिस कहानी, जिस परिवेश, जिस भाषा, जिस बोली को चुना है, उसे भोगा, जिया और चखा गया है लेखिका के द्वारा। यह महिला सशक्तिकरण की कहानियां हैं। इसमें महिला को अबला, दीन, हीन, कमजोर नहीं दर्शाया है। यह सुखद है। हर कहानी में महिला योद्धा की तरह सामने आती है।
अंकिता जैन ने अपनी किताब में वही लिखा है, जो वह लिखना चाहती थीं। उन्होंने लिखने के लिए समझौता नहीं किया है। किताब अमेज़न, फ्लिप्कार्ट पर मौजूद है।
किताब - बहेलिए
लेखिका - अंकिता जैन
प्रकाशन - राजपाल प्रकाशन
मूल्य - 175 रुपए