पुस्तक समीक्षा : ठीक तुम्हारे पीछे
"ठीक तुम्हारे पीछे" अभिनेता और लेखक मानव कौल का कहानी संग्रह है। कहानी संग्रह में कुल बारह कहानियां हैं।इन कहानियों में एक गहराई है। सब कुछ सतही तौर पर पकड़ में नहीं आता। हर कहानी में शुरुआत, मध्य, अंत, रोचकता, थ्रिलर वाला अंत ढूंढने की कोशिश करेंगे तो आप निराश होंगे। अगर आपकी चेतना का एक विशेष स्तर नहीं है, यदि आपका बौद्धिक स्तर कमजोर है तो आप कहानियों को समझ नहीं पाएंगे। यानी यह कहानियां मास ऑडियंस के लिए न होकर एक ख़ास पाठक वर्ग के लिए हैं।
किताब "ठीक तुम्हारे पीछे" की कुछ कहानियों को छोड़ दें तो बाक़ी कहानियां बहुत आसानी से हर समकालीन समाज में रहने वाले, जीने वाले मनुष्य से संबंधित दिखाई पड़ती हैं। मानव कौल की इन कहानियों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह आतंकित नहीं करतीं। किसी एक विचारधारा का प्रचार नहीं करतीं, कोई क्रांति, बदलाव का झंडा बुलंद नहीं करतीं। यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आज के समाज और इसमें रह रहे लोगों की मनोदशा पर बात करती हैं। एक नौकरीपेशा युवक, एक शादीशुदा युवक, एक तलाक़ की तरफ़ बढ़ रहे दंपति के सामने क्या संघर्ष हैं, क्या मसले हैं, उनकी बातें यह कहानियां करती हैं।
हर कहानी में भावनाएं प्रधान हैं। इसलिए सभी कहानियां बहुत कनेक्ट भी करती हैं। किरदार की उदासी, पीड़ा पाठक को महसूस होने लगती है। मानव कौल ने जिस तरह से गम्भीर बातों को भी एक लाइन में, हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा है वह सच में बहुत शानदार है। जैसा कि कुछ कहानियां बहुत ज़्यादा लेयर्ड हैं इसलिए एक बार पढ़ने में पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है, क्या कहा जा रहा है। आपको एक से अधिक बार पढ़ना पड़ेगा, कहानियों में गहरे उतरने के लिए। पढ़ते हुए हर बार कुछ नया आपके हाथ लगेगा। यदि प्रयोग पसंद करते हैं, कुछ नया पढ़ने की चाहत है तो यह कहानी संग्रह आपको पसंद आएगा।
किताब : ठीक तुम्हारे पीछे
लेखक : मानव कौल
प्रकाशन : हिन्द युग्म प्रकाशन
मूल्य : 199