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24 March 2022

सेज: कई राज सुनंदा अपने साथ ही ले गईं!

पुस्तक : सेज: सुनंदा पुष्कर की कहानी

लेखक: हीरेन्द्र झा और निमिषा दीक्षित

प्रकाशक: नायाब सीरिज, माय बुक्स सिलेक्ट, दिल्ली
मूल्य: 275 रुपये

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लोगों की परवाह न करते हुए अपनी शर्तों पर जीवन जीना एक औरत के लिए भारतीय समाज में सब से ज़्यादा मुश्किल और साहस का काम है। इस के लिए सुनंदा पुष्कर जैसा फौलादी हौसला ही चाहिए। सुनंदा और शशि किसी के लिए भी अनजाने नाम कभी नही रहे हैं। सियासत और मीडिया का तो वैसे भी चोली-दामन का साथ है। शशि और सुनंदा की प्रेम कहानी इसलिए भी चर्चा का विषय रही क्योंकि दोनों ही पहले से विवाहित थे।

“सेज – सुनंदा पुष्कर की कहानी” यह किताब वहाँ से शुरू होती है जहाँ सुनंदा और शशि शादी के बंधन में बंध रहे हैं और दोनों की ही यह तीसरी शादी थी। इस विवाह को हीरेन्द्र और निमिषा ने इतनी सुन्दरता से अपने शब्दों से चित्रित किया है कि किताब पढ़ते हुए स्वंय वहाँ उपस्थित होने का आभास होता है और सुनंदा का चेहरा आँखों के सामने उतर आता है। विवाह और इसके उपरान्त एक-एक इवेंट को इस लेखक जोड़ी ने अपनी लेखनी के बल पर जीवित कर दिया है।

सुनंदा के जन्म से लेकर मौत तक की कहानी इस किताब के जरिये आप समझ पाएगें। चाहे बात उनकी परवरिश की हो या फिर पारिवारिक बैकग्राउंड की या यूँ भी देखें कि कैसे एक सीधी-सादी लड़की अपनी स्कूल की पढ़ाई के दौरान ख़ुद में खोये रहती और अपने सहपाठियों से कम बोलती। और वो वक़्त भी आया जब सुनंदा नेटवर्किंग और मीडिया क्वीन बन गई और सोशल मीडिया पर इस कदर धूम मचा देना अपने आप में बहुत हैरानी की बात है। और फिर सुनंदा इतनी बदल गई कि जो भी उस से मिलता वह उस से की गई एक-एक बात याद रखता था। सुनंदा के व्यक्तित्व में जैसे कोई जादू सा भर गया था, जो किसी को भी उसे भूलने नहीं देता था।

अपनी शर्तो पर ज़िन्दगी जीने वाली सुनंदा का पहले विवाह के दौरान अपने घर वालो से बग़ावत करना या इस तरह देखें कि जिस शादी के लिए उन्होंने घर वालों से बग़ावत की उसे नाकाम होते देख फ़ौरन मूवऑन करना ये वाक़ई उनकी दिलेरी ही थी। हीरेन्द्र और निमिषा ने इस पूरे घटनाक्रम को बड़े ही मार्मिक तरीके से लिखा है कि आप कुछ पल रुक कर इस शादी के टूटने का शोक जरुर मनाएगें।

“22 करोड़ के कर्ज़ की बात करें या 100 करोड़ की मालकिन बनने की” – यह कहानी बिल्कुल किसी रोलर-कोस्टर की तरह है। सुनंदा के नाकाम प्यार की कहानी, हार न मानने की कहानी या सचमुच उन्हें उनका प्यार मिल जाने की कहानी। तो फिर आख़िर कैसे इस सुखद प्रेम कहानी का अंत इतना दुखद हुआ?। क्या था उनकी ज़िन्दगी और उनकी मौत का रहस्य? हीरेन्द्र और निमिषा ने जिस ख़ूबसूरती और दर्द के साथ “सेज-सुनंदा पुष्कर की कहानी” लिखी है इनकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है।

अंत में यही कहना चाहूंगी कि इस लेखक जोड़ी ने “सुनंदा पुष्कर” को हमेशा के लिए अमर कर दिया। “सेज-सुनंदा पुष्कर की कहानी” – ये आपकी रूह को हिला कर रख देने वाली कहानी है।

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TAGS: पुस्तक समीक्षा, सेज, book Review, Hirendra Jha and Nimisha Dixits, Sej Sunanda Pushkar ki Kahani, हीरेन्द्र झा और निमिषा दीक्षित, 'सेज: सुनंदा पुष्कर की कहानी', समीक्षा, सबा फिरदौस
OUTLOOK 24 March, 2022
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