बजट 2024: वित्त मंत्री कल पेश करेंगी अंतरिम बजट, इन बातों की न करें उम्मीद
1 फरवरी 2024 यानी कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी. इसमें होने वाले घोषणाओं को लेकर नागरिकों और कॉरपोरेट्स के बीच काफी उम्मीदें हैं. फिलहाल दुनिया अनिश्चिताओं से घिरी हई है और भारत एकमात्र 'ब्राइट-स्पॉट' बनकर उभरा है. पिछले 10 सालों में भारत में कई पॉलिसी रिफार्म हुए हैं लेकिन क्या मोदी सरकार के इस अंतरिम बजट में भी कोई बदलाव या लोकलुभावन वादे होंगे? आइए जानते हैं वो पांच बातें जिनकी आपको इस बजट में उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
पॉलिसी रिफॉर्म
अंतरिम बजट की अस्थायी प्रकृति और राष्ट्रीय चुनावों की निकटता को देखते हुए, यह अन-लाइक्ली है कि वित्त मंत्री कोई भी महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन या वित्तीय सुधार पेश करेंगी. जैसा कि पहले निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया था, बजट मुख्य रूप से दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतियों के बजाय तत्काल व्यय को संबोधित करेगा.
नई कल्याणकारी योजनाएँ
जबकि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा लेकिन बजट में बड़े पैमाने पर कल्याण कार्यक्रम शुरू करने की संभावना नहीं है. ऐसी किसी भी पहल के लिए व्यापक वित्तीय प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होगी जो चुनाव के बाद पूर्ण बजट चर्चा के लिए अधिक उपयुक्त हों.
टैक्स बेनिफिट्स
कई लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार टैक्स स्ट्रक्टर में बदलाव करेगी लेकिन ऐसा उम्मीद कम है. आमतौर पर टैक्स सिस्टम में बदलाव पूर्ण बजट में किया जाता है. ऐसे में जो लोग टैक्स से जुड़े बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं उन्हें अभी इंतजार करना पड़ सकता है.
फिस्कल कंसोलिडेशन
हालाँकि राजकोषीय घाटे में कमी एक लक्ष्य है. लेकिन इन बजट में व्यापक फिस्कल कंसोलिडेशन पेश नहीं किए जा सकते हैं. अंतरिम बजट में ऐसा नहीं होने जा रहा है क्योंकि इसका उद्देश्य कठोर राजकोषीय अनुशासन लागू करने के बजाय आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है.
नये वित्तीय नियम
अंतरिम बजट वित्तीय नियमों में व्यापक बदलाव या जटिल नियामक ढांचे की शुरूआत का समय नहीं है. ऐसे नीतिगत निर्णय आम तौर पर पूर्ण बजट के साथ किए जाते हैं, जहां बहस और दीर्घकालिक योजना की अधिक गुंजाइश होती है.