बजट 2022: सरकार जारी करेगी डिजिटल करेंसी, जाने क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या है अंतर?
निर्मला सीतारमण ने आज सदन में बजट 2021 पेश किया है। सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि साल 2022-23 में आरबीआई ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का प्रयोग करके डिजिटल करेंसी जारी करेगा। वित्त मंत्री के अनुसार जिससे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। अगर हम सरकार की तरफ पेश होने वाली डिजिटल करेंसी को भारतीय क्रिप्टो करेंसी कहें तो यह गलत नहीं होगा।
अगर सरकार अगले वित्त वर्ष में इसे लांच कर देती है तो बिटकॉइन और दूसरे क्रिप्टो निवेशकों को बड़ा झटका लग सकता है। बजट में कहा गया है कि किसी भी वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली किसी भी आय पर 30% की दर से टैक्स लगाया जाएगा। अधिग्रहण की लागत को छोड़कर, ऐसी आय की गणना करते समय किसी भी व्यय या भत्ते के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।
डिजिटल करेंसी को अक्सर लोग क्रिप्टोकरेंसी समझते हैं, लेकिन ये सच नहीं है और दोनों में बहुत अंतर होता है। सबसे बड़ा अंतर यह है डिजिटल करेंसी जहां जारी होती है उस देश में इसे लीगल मान्यता मिली होती है क्योंकि इसे उस देश का केंद्रीय बैंक जारी करता है। इसमें फ्रॉड का कोई खतरा नहीं होता है क्योंकि ये रेगुलेटेड होता है। दूसरी तरफ क्रिप्टो में ऐसा नहीं है और वो एक मुक्त डिजिटल एसेट है। बिटकॉइन, इथीरियम और डॉगकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है।
आपको बता दें कि डिजिटल करेंसी को ऑफिशियली सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाता है। इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है और यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में शामिल होता है। इसे सरकार जब चाहे सॉवरेन करेंसी में बदल सकती है।