बजट पर चिदंबरमः कॉमेडी, आंकड़े गायब, नीरस और अनैतिकता से भरा
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण पर निशाना साधा है। उन्होंने इसे अस्पष्ट बजट भाषण बताया है। इसके अलावा उन्होंने बिना पैन कार्ड के सिर्फ आधार कार्ड से आईटीआर फाइल कर सकने की घोषणा को कॉमेडी करार दिया है। चिदंबरम ने कहा कि बजट को आम नागरिकों या बिना किसी जानकार अर्थशास्त्री की आवाज सुने बिना तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने समाज के किसी भी वर्ग को राहत नहीं दी है।
वित्त मंत्री ने इस साल के बजट में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया, सोना पर आयात शुल्क बढ़ाया, बहुत अमीर लोगों पर अतिरिक्त सरचार्ज लगाया और अधिक नकदी निकासी पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया है, क्योंकि वे कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, हाउसिंग सेक्टर, स्टार्ट-अप्स और इलेक्ट्रिक वीकल्स में छूट देकर विकास की रफ्तार तेज करना चाहती हैं।
'यह क्या कॉमेडी है?'
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बिना पैन कार्ड के सिर्फ आधार कार्ड के जरिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की सुविधा पर कहा, “आपको याद होगा कि जब आधार को आईटीआर फाइलिंग के लिए अनिवार्य किया गया तो सवाल उठा कि जब पैन कार्ड है तो आधार की जरूरत क्या है। अब कह रहे हैं कि बिना पैन कार्ड के आधार से ही आईटीआर फाइल किया जा सकता है। यह क्या कॉमिडी है? मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि पैन और आधार को तब लिंक करने की क्या जरूरत थी।”
चिदंबरम ने यह भी कहा कि बजट भाषण में सरकार के कुल खर्च और राजस्व के बारे में भी नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में आंकड़ों को लेकर चुप्पी बरती गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग बजट भाषण सुनते हैं, उन्हें डॉक्युमेंट नहीं मिलता है। आप नहीं बताते कि सरकार का कुल खर्च कितना है और कितना राजस्व हासिल हुआ। इन आंकड़ों का संसद में खुलासा नहीं करना अनैतिक है।
कपड़े में बजट डॉक्यूमेंट ले जाने पर भी कसा तंज
पी. चिदंबरम ने बजट डॉक्यूमेंट को ब्रीफकेस के बजाय लाल कपड़े में लपेटकर ले जाने पर भी तंज कसा। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि भविष्य में जब कांग्रेस का वित्त मंत्री बजट पेश करेगा तो वह डॉक्यूमेंट को आईपैड में ले जाएगा।
'देश को पूरा सच बतातीं वित्त मंत्री'
चिदंबरम ने कहा कि जब वित्त मंत्री ने दावा किया कि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स एक लाख करोड़ रुपये घट गए हैं, लेकिन उन्हें साथ में यह भी बताना चाहिए कि उसी अवधि में बैंकों ने 5 लाख 55 हजार 603 करोड़ रुपये का कर्ज राइट ऑफ कर दिया। उन्होंने यह क्यों नहीं बताया, मैं नहीं जानता।