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26 February 2016

कस्टम ड्यूटी में हुई बढ़त से स्वास्थ्य क्षेत्र पर नकारात्मक असर- नाटहेल्थ

गूगल

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को लिखे पत्र में स्वास्थ्य उद्योग से जुड़ी संस्था नाटहेल्थ ने चिकित्सा उपकरण और चिकित्सा डिवाइस में हाल ही में हुई आयात सीमा शुल्क में वृद्धि और समग्र स्वास्थ्य सेवा पारिस्थिति के तंत्र पर इसके प्रतिकूल प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

गौरतलब है कि हाल ही में, केन्द्र सरकार ने, सीमा शुल्क अधिसूचना संख्या 2016 के 4 और 5 से आयातित चिकित्सा उपकरणों और चिकित्सा डिवाइस पर लागू मूल सीमा शुल्क 5% से 7.5% और लागू विशेष अतिरिक्त शुल्क 0% से 4 % की वृद्धि हुई। परिणाम स्वरूप अधिभार और उपकर में इसी वृद्धि के साथ-साथ लागू सीमा शुल्क की दर में, 7.3 % की समग्र वृद्धि के साथ 11.64 % से बढ़ कर 18.94 % रही है। साथ ही में, सरकार ने चिकित्सा उपकरण और डिवाइस के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल, पुर्जों आदि के आयात पर सीमा शुल्क 7.5% से 2.5% कम करके 5%, कर दिया है ।

नाटहेल्‍थ के महासचिव अंजन बोस बताते हैं, कि " कच्चे माल पर शुल्क में शुद्ध कमी 2.5% है, जबकि उपकरणों के लिए सीमा शुल्क में शुद्ध वृद्धि 7.3 % है, जिससे एक असमानता उत्पन्न होती है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र  कम जटिल उपकरणों के कारण सीमित निर्माण के साथ अभी शैशव अवस्था में है। 75 % से भी अधिक चिकित्सा उपकरण / डिवाइस को अभी भी आयात किया जाता है और इसलिए ड्यूटी बढ़ाने से स्वास्थ्य लागत में वृद्धि होगी"।

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 घरेलू विनिर्माण कम जटिलता वाले डिवाइस और उपकरणों तक ही सीमित है। देश में लगातार उच्च गुणवत्ता और हाई-एंड प्रौद्योगिकी डिवाइस और उपकरणों का निर्माण करने के लिए, देश में तकनीकी योग्यता का निर्माण करने की आवश्यकता है जिसमें कुछ समय लग सकता है।

मेग्नेटिक रिसोर्स इमेजिंग (एमआरआई), सायक्लोट्रोन्स, हाई-एंड कोंप्युटेड टोमोग्राफी ( सीटी) और कैथ लैब्स,  जैसे हाई-एंड उपकरण और कई जटिल और महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण, जैसे कि नई पीढ़ी के हार्ट के वाल्व, ग्राफ्ट , ओकसिजनेटर, के भारत में निर्माण और स्रोत के लिए प्रौद्योगिकी का विकास करने में 3-5 साल लगते हैं व उसके अलावा पर्याप्त निवेश के किए जाने की जरूरत है। वर्तमान में देश में एमआरआई उपकरण, सायक्लोट्रोन्स और कई महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए का कोई निर्माता नहीं हैं और सीटीएस और कैथ लैब प्रारंभिक दौर में है और हाई-एंड मशीनों के लिए उपलब्ध नहीं है।

महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों और डिवाइस के प्रवेश बहुत कम है। जैसे कि देश में केवल 1500 के आसपास MRIs , 150 पीईटी सीटीएस और 20 सायक्लोट्रोन्स हैं। भारत सालाना 160,000 से कम कार्डियक सर्जरी और कम से कम 300,000 एंजियोप्लास्टी करता है । विकसित देशों के साथ तुलना से संकेत मिलते है कि वर्तमान जनसंख्या की सेवा करने के लिए हमें डिवाइस और उपकरणों में कम से कम दस गुना वृद्धि करने की जरूरत है। शुल्क बढ़ाने से आगे इस तरह के महत्वपूर्ण डिवाइस और उपकरणों के पैठ को कम करेगा, जो कि देश में स्वास्थ्य परिणामों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

आम तौर पर, भारत में उपकरण और चिकित्सा उपकरण की लागत अन्य देशों की तुलना में सबसे कम स्तर पर रहे हैं। इन कम लागत के बावजूद, रोगियों की क्षमता कम बीमा कवरेज और कम क्रय शक्ति के कारण अभी भी निचले तबके में है। इस आयात शुल्क के वृद्धि से जीवन को बचाने और जीवन को बढ़ाने के डिवाइस और उपकरण और अधिक महंगे हो जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप, मरीजों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में और पर अधिक वित्तीय बोझ पड़ेगा।

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TAGS: स्वास्‍थ्य, नाटहेल्‍थ, बजट, चिकित्सा उपकरण, सीमा शुल्क, वृद्घि
OUTLOOK 26 February, 2016
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