Advertisement
05 February 2017

भारत में 100 मतदाताओं पर मात्र सात करदाता

गूगल

 

इतना ही नहीं देश में सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर किए जाने वाले व्यय का आवंटन भी कुछ ठीक नहीं है। गरीबों की सर्वाधिक संख्या वाले जिले सामाजिक कार्यक्रमों में निधियों की सबसे बड़ी कमी से जूझ रहे हैं। निर्धनतम 40 प्रतिशत जिलों को कुल वित्त पोषण का 29 प्रतिशत धन ही प्राप्त होता है। यह बात कोई और नहीं बल्कि सरकार ने स्वयं स्वीकार की है। वित्त वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में भारत के बारे में आठ दिलचस्प तथ्य शीर्षक वाली एक विशेष प्रस्तुति में उक्त जानकारी दी गई है।

इसमें कहा गया है, देश में राजनीतिक लोकतंत्र तो है लेकिन राजकोषीय लोकतंत्र नहीं है।

Advertisement

इसके अनुसार भारत में प्रति 100 मतदाता में केवल सात लोग ही कर देते हैं। कर देने वाले देशों में नार्वे पहले स्थान पर है। नार्वे में प्रत्येक 100 मतदाताओं में 100 करदाता हैं, दूसरा स्थान स्वीडन का है जहां प्रत्येक 100 में करीब 98 और तीसरा स्थाना कनाडा का है जहां प्रत्येक 100 में करीब 94 लोग कर देते हैं। इनके बाद नीदरलैंड और आस्ट्रेलिया का स्थान है। भारत इस सूची में काफी नीचे है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मणियम ने इस बार की आर्थिक समीक्षा में देश के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्यों की जानकारी देते हुए यह अलग अध्याय जोड़ा है। इनमें एक तथ्य यह भी है कि भारत में करदाताओं की संख्या उसकी कुल जनसंख्या के लिहाज से बहुत कम है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रह्मणियम के अनुसार इसमें यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत का आंतरिक एकीकरण कहीं अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा, परंपरागत तौर पर जैसा हम विश्वास करते हैं, यह उससे भी कहीं अधिक सुदृढ़ है। उदाहरण के तौर पर हमारा अनुमान है कि 80 से 90 लाख लोग काम के सिलसिले में इधर से उधर जाते हैं और यह संख्या मौजूदा अनुमानों से लगभग दोगुनी है। इसी प्रकार, भारत का आंतरिक व्यापार उतना ही बड़ा है जितना कि किसी बड़े देश का।

आंतरिक व्यापार के बारे में कहा गया है कि 2011 की स्थिति के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में वस्तु एवं सेवा व्यापार के अनुपात में भारत का खुलापन चीन से कहीं अधिक हो गया है। इतना ही नहीं भारत का जीडीपी और आंतरिक व्यापार अनुपात उनके बड़े देशों के के मुकाबले बेहतर है। वर्ष 2015 में भारत में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यापार 42 प्रतिशत के आसपास रहा जबकि चीन में यह 40 प्रतिशत था। वहीं जीडीपी और आंतरिक व्यापार का अनुपात 54 प्रतिशत पर पहुंच गया है जो कनाडा, यूरोपीय संघ के 20-20 प्रतिशत से कहीं अधिक है।

इसी भाग में सामाजिक कल्याण कार्यक्रम पर किए जाने वाले व्यय में खामियों को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है, देश में कल्याण कार्यक्रमों पर किए जाने वाला व्यय गलत आबंटन की समस्या से ग्रस्त है। गरीबों की सर्वाधिक संख्या वाले जिलों में सामाजिक कार्यक्रमों में निधियों की सबसे ज्यादा कमी रही है। निर्धनतम 40 प्रतिशत जिलों को कुल वित्त पोषण का 29 प्रतिशत ही प्राप्त होता है।

इसमें यह भी कहा गया है कि देश में संपत्ति कर की क्षमता का दोहन नहीं किया गया है। उपग्रह से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि बेंगलुरू और जयपुर अपने संभावित संपत्ति करों का 5 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक ही संग्रह कर पा रहे हैं। इसके अलावा, इस भाग में आबादी संबंधी लाभ, चीन और भारत की क्रेडिट रेटिंग आदि के बारे में भी जिक्र किया गया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: आर्थिक सर्वे, निवेश संभावना, भारत, आयकर, 100 मतदाता, आयकर दाता, लोकतांत्रिक देश
OUTLOOK 05 February, 2017
Advertisement