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30 January 2016

बजट में लोकलुभावन नीतियों की बजाय सुधारों पर जोर देंगे जेटली

साभार इकोनॉमिक टाइम्स

भारत के लिए 8-9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की संभावना जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को इकनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट में हिस्सा लेते हुए संकेत दिया कि आगामी बजट में सिर्फ अच्छी रेटिंग पाने के लिए लोकलुभावन नीतियों का सहारा नहीं लिया जाएगा बल्कि इसमें ढांचागत सुधारों पर भी ध्यान रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने बुनियादी कारकों की मजबूती पर जोर देते हुए कहा, बजट को ऐसे क्षेत्रों पर गौर करना है जिनमें निवेश की जरूरत है। इसलिए मुझे उस दिशा में जोर देना है। यदि बजट में सिर्फ रेटिंग बटोरने के लिए लोकलुभावन नीतियों को शामिल किया जाता है तो फिर यह जरूरी नहीं कि अर्थव्यवस्था की मजबूती या फिर ठोस राजनीति जिस लक्ष्य को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं उसमें मदद मिले। उन्होंने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था को अपेक्षाकृत ठोस मंच पर सामने आना होगा। मत भूलिए, कि भारत विश्व के उन कुछ देशों में से है जिन्होंने 2001, 2008 और 2015 के वैश्विक संकट का सफलतापूर्वक सामना किया।

 

जेटली ने कहा कि सरकार पिछली तारीख से कर दावे नहीं करेगी और वह चाहेंगे कि ऐसे दो या तीन मामले जो बचे हैं उनका जल्दी समाधान हो। संसद का बजट सत्र अगले महीने शुरू हो रहा है। जहां अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार बजट पेश करेगी। उन्होंने ने बिजनेस समिट में उम्मीद जताई कि कांग्रेस जीएसटी कानून की जरूरत को समझेगी और उसे आगामी बजट सत्र में राज्य सभा में पारित कराने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, भुगतान योग्य कर का संग्रह होना चाहिए लेकिन अनुचित कर नहीं होने चाहिए क्योंकि अनुचित आकलन से नाम खराब होता है और राजस्व भी नहीं मिलता है।

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जेटली ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस जीएसटी का समर्थन करेगी जिसका लक्ष्य पूरे देश को एक साझा बाजार बनाना है। उन्होंने कहा, जीएसटी संप्रग का महत्वपूर्ण सुधार है। यदि इसे तैयार करने का श्रेय किसी को देना हो तो यह मैं उन्हीं को दूंगा। अब, यदि लेखक ही अपनी पटकथा के खिलाफ हो जाए तो मैं क्या कर सकता हूं, मैं उनके पास गया हूं, मैंने उनसे बात की है। मैंने उन्हें पूरा ब्योरा दिया है और मुझे उम्मीद है कि वे जीएसटी पारित कराने के पीछे जो तर्क है उसे समझेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को छोड़कर हर पार्टी जीएसटी विधेयक का सक्रिय समर्थन कर रही है। राजद, राकांपा और जदयू जैसे संप्रग के सहयोगी दल इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे कोई वजह नहीं दिखती कि कांग्रेस को इस विधेयक के बारे में सोचना चाहिए। यदि विधेयक के किसी विचार पर कोई चर्चा करनी है तो निश्चित तौर पर मैं उनके साथ चर्चा के लिए तैयार हूं, हम दोषपूर्ण कानून बनाकर भावी पीढ़ी पर इसे नहीं थोप सकते।

 

उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के खराब हालात में भी भारत मजबूती से खड़ा है तो ढांचागत सुधारों को आगे बढाना अपरिहार्य है। उन्होंने सारा ध्यान बुनियाद ढांचे, सिंचाई तथा कृषि उत्पादकता पर केंद्रित होने की बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि एक से अधिक कारक भारत के समर्थन में हैं जिनमें बड़ा मानव संसाधन, प्रशिक्षित लोग व बहुत बड़ा बाजार शामिल है। हम में विनिर्माण बढाने की क्षमता है। हमारे पास नवोन्मेषी कौशल है। हमारी श्रम लागत नहीं बढ रही है जबकि चीन में इसमें बढोत्तरी हो रही है। हम चीन में हो रहे बदलावों के कारकों का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि तेल व जिंस कीमतों में नरमी के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का बुरा हाल है। लेकिन चूंकि हम इन जिंसों के शुद्ध क्रेता हैं इसलिए इसमें हमारे लिए फायदा है। 

 

 

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TAGS: वित्त मंत्री, अरूण जेटली, वित्त वर्ष, आर्थिक वृद्धि, ढांचागत सुधार, भारत, गरीबी, आगामी बजट, लोकलुभावन नीति, भारतीय अर्थव्यवस्था, इकनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट
OUTLOOK 30 January, 2016
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