बजट से उम्मीद: रेंटल हाउसिंग के लिए सरकार दे टैक्स छूट- नारेडको
देश में आवास की कमी को देखते हुए और 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, नेशनल रियल एस्टेट डवलपमेंट काउंसिल (एनएआरईडीसीओ) ने सरकार से आगामी बजट में किराए पर आवास को बढ़ावा देने की मांग की है। नारेडको का कहना है, इस तथ्य को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि सभी को मालिकाना हक वाले आवास नहीं दिए जा सकते। इसलिए ‘रेंटल हाउसिंग’ को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
बजट इच्छा-सूची में, नारेडको ने किराए के आवास को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोत्साहनों की सिफारिश की है। नारेडको ने सुझाव दिया है कि किराए के आवास से अर्जित मुनाफे पर रियल एस्टेट डेवलपर्स को 10 साल टैक्स में छुट्टी दी जाए। इसके अलावा एसोसिएशन ने ब्याज और ब्रोकरेज जैसे खर्चों में कटौती की मांग की है।
नारेडको का कहना है कि चूंकि ग्राहक सुसज्जित (फर्नीश्ड) फ्लैट पसंद करते हैं इसलिए फर्नीचर और फिक्स्चर के साथ-साथ अपार्टमेंट्स पर मूल्यह्रास की अनुमति भी दी जानी चाहिए। घरों की उच्च लागत और उच्च संपत्ति कर वाले किराए के मकान का रेट ऑफ रिटर्न कम हो जाता है, घर को किराए से देना आय में बढ़ोतरी भी नहीं करता। इसलिए किराए से प्राप्त आरओआर में सुधार के लिए, धारा 24 (ए) के तहत किराए की आय में कटौती को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए। इससे किराये के आवास को बढ़ावा मिलेगा।
एसोसिएशन ने यह भी कहना है कि आवासीय परिसरों के रख-रखाव शुल्क पर माल और सेवा में भी पूरी तरह से छूट दी जानी चाहिए। क्रेडाई और नारडेको देश भर में रियल एस्टेट डेवलपर्स के दो मुख्य संघ हैं।
रियल एस्टेट डेवलपर्स कर रहे हैं टैक्स में छूट की मांग
दरअसल रियल एस्टेट डेवलपर्स लंबे वक्त से रेंटल हाउसिंग में टैक्स छूट की मांग कर रहे हैं। इस मामले में वित्त मंत्रालय ने बिल्डर्स से बिजनेस मॉडल नोट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मौजूदा वक्त में रियल एस्टेट डेवलपर्स को नए बनाए गए हाउस या प्लैट पर रेंटल टैक्स देना होता है। मतलब अगर बिल्डर ने 100 मकान बनाएं और वो बिके नहीं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें इन मकानों के नाम पर सरकार को रेंटल टैक्स देना होता है। सरकार मानती है कि इन मकानों से बिल्डर को रेंट के रुप में कमाई हो रही है और उस इलाके में प्रचलित किराए को टैक्स का आधार बनाया जाता है।
10 साल की मिल सकती है टैक्स छूट
हालांकि अब इस रेंटल टैक्स में सरकार की तरफ से 10 साल की छूट दी जा सकती है। हालांकि इस फॉर्मूले से प्रॉफिट वाली प्रॉपर्टी को अलग रखा जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी चल रही है। इसकी वजह से फ्लैट की बिक्री नहीं होती है। वहीं डेवल्पर्स को इस पर टैक्स देना होता है, जो रियल एस्टेट के लिए एक बड़ी समस्या बनकर समाने आयी है।
बजट में ऐलान होने की संभावना
रियल एस्टटे डेवलपर्स ने हाल ही में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या से अवगत कराया है। ऐसे में मंत्रालय ने उनसे रेंटल हाउसिंग बिजनेस मॉडल पर एक नोट मांगा है। वित्त मंत्रालय इस मामले में इंडस्ट्री बॉडी से बाचतीच के दौर में है और 2019-20 के बजट में इसे शामिल होने की चर्चा चल रही है। संसद में बजट जुलाई में पेश किया जाएगा।