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25 February 2016

नजरिये का नहीं, मतिभ्रम का रेल बजटः विपक्ष

बिहार के मुख्यमंत्री और पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार भी रेल बजट पर निराश जताई और कहा कि बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उम्मीद जगाती हो। मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि सरकार ने रेल के जरिये माल ढुलाई की व्यवस्‍था को ‌पीछे ढकेल दिया है। देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए माल ढुलाई यातायात समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘ट्रेनें लेट चल रही हैं, साफ-सफाई बड़ी समस्या बनी हुई है, स्टेशनों की स्थिति बदतर है। लेकिन रेल मंत्री ने इन मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दी। सुरक्षा मसले पर भी ध्यान नहीं दिया गया है। तेल की कीमतें भी गिर रही हैं लेकिन रेल किराया नहीं घटाया गया।’

 पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने चुटीले अंदाज में ‌ट्वीट किया, ‘बजट, कहां आया? बजट होता है दृष्टिकोण का वक्तव्य  लेकिन 2016 का रेल बजट तो मतिभ्रम का वक्तव्य है।’ पूर्व रेल मंत्री और कांग्रेस नेता पवन बंसल का भी यही कहना था कि रेल बजट में जैविक शौचालय के अलावा कुछ भी नया नहीं है लेकिन मुझे इसमें भी शक है कि यह कैसे सफल होगा।

बंसल ने कहा, ‘बायो वैक्यूम शौचालय से लोग यदि वाकिफ नहीं होंगे तो यह खतरनाक भी हो सकता है। मैं नहीं जानता कि इसके प्रति कितनी लोगों में जागरूकता फैली है। ये लोग समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की बात करते हैं जिसे मनमोहन सिंह ने बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। इसके लिए जमीनी हकीकत पर विचार करना जरूरी है और यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है कि इसका वित्तीय मॉडल क्या होगा।’ लेकिन देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने रेल बजट की तारीफ करते हुए कहा कि रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्‍था का एक लघु रूप है इसलिए इसका बजट बनाना भी जटिल कार्य है। लेकिन रेल मंत्री ने अपना होमवर्क अच्छी तरह से किया है। यह बजट विकास और परिचालन दक्षता के बीच एक अच्छा संतुलन पेश करता है। यह बजट दुनिया को संदेश देता है कि हमारे पास कुशल नेतृत्व है।

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TAGS: रेल बजट, बायो वैक्यूम टॉयलेट, फ्रेट कॉरिडोर, लालू प्रसाद, Nitish Kumar, Dinesh Trivedi, Anand Mahindra
OUTLOOK 25 February, 2016
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