ऑनलाइन हाेंगी देश भर की मंडियां, राष्ट्रीय कृषि बाजार की तैयारी
प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि बाजार के लिए कृषि मंत्रालय जल्द ही आईटी कंपनियों को आॅनलाईन प्लेटफार्म स्थापित करने के लिए आमंत्रित करेगा। योजना के तहत देश भर के 585 थोक बिक्री बाजार को एकीकृत करने की परिकल्पना तैयार की गई है। गाैरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में एक राष्ट्रीय कृषि बाजार बनाने का ऐलान किया था। मोदी सरकार अब इस घोषणा पर अमल करने जा रही है।
इस वर्ष जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्रीय कृषि बाजार के लिए आॅनलाईन प्लेटफार्म स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह ऑनलाइन प्लेटफार्म किसानों को उनके उत्पादों की बिक्री के विकल्प देगा। इस काम के लिए मंत्रिमंडल ने 200 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दी है। ये निविदाएं लघु कृषक कृषि व्यवसाय कन्सोर्टियम यानी एसएफएसी की ओर से जारी की जाएंगी। कृषि सचिव सिराज हुसैन ने बताया, यह देश में कृषि क्षेत्र के लिए एक युगांतकारी कदम होगा जो किसी राज्य के भीतर एपीएमसी मंडियों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर कर देगा। उन्होंने कहा कि किसान देश के किसी भी भाग में अपने स्थान से ही अपने उत्पाद को बेच सकेंगे। हम एेसे प्लेटफार्म बनाने के लिए काम कर रहे हैं जो किसानों को अपने उत्पादों के आकर्षक लाभ दिलाने में काफी मददगार होगा।
सिराज ने बताया कि इस योजना के लिए कम से कम 10 राज्य सहमत हुए हैं जिन राज्यों में आंध्र प्रदेश, ओडि़शा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात प्रमुख हैं। कर्नाटक में पहले ही आॅनलाईन कृषि बाजार की शुरुआत हो चुकी है और हाल में कृषि मंत्रालय ने इस प्लेटफार्म के कामकाज को प्रदर्शित करने के लिए सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों की एक सेमिनार भी आयोजित की थी। दरअसल, मौजूदा समय में किसान अपने उत्पाद केवल मंडियों अथवा बाजार समितियों में ही बेच सकते हैं जो उनके उत्पादों के लिए विभिन्न कर वसूलते हैं। योजना के अनुसार आॅनलाइन कारोबार के संचालन के लिए एक एजेंसी की भी स्थापना की जाएगी। आॅनलाइन कारोबार को समर्थन देने के लिए कृषि उत्पादों के परिवहन सुविधा का इंतजाम और गोदामों के निर्माण की भी योजना है।
इस पहल की मदद से किसानों के पास अपने कृषि उत्पादों को हाजिर मंडियों अथवा आॅनलाईन प्लेटफार्म दोनों जगह बेचने का विकल्प मौजूद होने की उम्मीद है। इससे उनकी आय भी बढ़ेगी और उत्पादों की उपलब्धता में सुधार के साथ कीमतों को भी नरम रखने में मदद मिल सकती है।